भीलवाड़ा की चौपाटी का स्वाद, सेहत पर भारी, दे रहां हे बिमारी

Update: 2025-12-14 10:30 GMT


भीलवाड़ा शहर की  चोपाटिया  और ठेलों पर मिलने वाला फास्ट फूड रोज़ाना हजारों लोगों की भूख मिटा रहा है साथ ही  यह उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ भी कर रहा है? बदलती दिनचर्या में फास्ट फूड आसान विकल्प बन चुका है, लेकिन इसे बनाने में इस्तेमाल होने वाले तेल की गुणवत्ता पर कोई निगरानी नहीं है। नगर निगम भवन के पीछे लगने वाली  चौपाटी सहित कई जगहों पर न तो किसी तरह की जांच की जा रही है और न ही खाद्य सुरक्षा मानकों का पालन हो रहा है। स्वास्थ्य महकमा  लोगो के स्वास्थ्य के प्रति  यस्यासीनता बरते हुए हे इसके पीछे भी कई तरह की चर्चा हे !

शहर के ठेलों और छोटी दुकानों पर तेल में तले जाने वाले स्नैक्स लगातार पसंद किए जा रहे हैं। लेकिन ग्राहक इस बात से अनजान हैं कि यह तेल कितनी बार गर्म किया गया है और इसकी गुणवत्ता कैसी है। कई दुकानदार एक ही तेल को कई बार इस्तेमाल कर रहे हैं। यह न सिर्फ नियमों का उल्लंघन है बल्कि गंभीर स्वास्थ्य जोखिम भी है।

विशेषज्ञों के अनुसार तलने वाले तेल का इस्तेमाल तय सीमा में होना चाहिए। कढ़ाई में एक बार डाला गया तेल केवल एक या दो बार ही उपयोग योग्य माना जाता है। यदि तेल का रंग गहरा पड़े या उसमें झाग दिखने लगे तो उसे तुरंत बदल देना चाहिए।

खाद्य सुरक्षा मानकों के मुताबिक बार-बार गर्म किए गए तेल की रासायनिक संरचना बदल जाती है और उसमें हानिकारक तत्व बनने लगते हैं। इन्हें पोलर कंपाउंड्स कहा जाता है, जिनकी मात्रा 25 प्रतिशत से अधिक होने पर तेल जहरीला माना जाता है।

शहर के व्यस्त ठेलों पर ग्राहकों की लंबी कतारें जरूर लगती हैं, लेकिन उनके स्वास्थ्य पर पड़ रहे खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बिना जांच और बिना प्रमाणन के बिक रहा यह स्वाद लोगों के लिए किस खतरे का कारण बन रहा है, इस पर अब कड़ाई से निगरानी की जरूरत है।

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