सुख की तलाश में भटक रहे हैं, तो जानें प्रेमानंद जी की ये बातें

हर व्यक्ति सुख की चाहत रखता है. ख्वाहिश होती है कि उसके परिवार के सभी लोग खुशी के साथ जीवन जिएं. इसके लिए वह दिन-रात कड़ी मेहनत करता है. हालांकि, कड़ी मेहनत के बावजूद भी कई लोग सुख की तलाश में भटकते रहते हैं. उन्हें किसी भी चीज से संतुष्टि नहीं मिलती है. इन्हीं लोगों के लिए प्रेमानंद जी महाराज ने कहा है कि सुख कुछ और नहीं जीवन में संतुलन होता है, क्योंकि जीवन में संतुलन ही सुख का आधार होता है. जो व्यक्ति अपने विचारों, कर्मों और शब्दों पर संतुलन बनाए रखता है, उसे आंतरिक और बाहरी दोनों तरफ से शांति और सुख की अनुभूति होती है. ऐसे में प्रेमानंद जी महाराज ने कुछ उपाय सुझाए हैं, जिनको अपनाकर व्यक्ति अपने जीवन को सुखमय बना सकता है.
सद्मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं सुख पाने के लिए व्यक्ति को सच्चा ज्ञानी होना चाहिए. जो व्यक्ति सत्संग और संतों की वाणी को अपने जीवन में उतारता है और सद्मार्ग पर चलता है, तो वह जीवन की सच्चाई समझ लेता है, जिससे उसका जीवन सुखमय और शांतिपूर्ण बीतता है.
नि:स्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करना
प्रेमानंद जी महाराज के मुताबिक, जो व्यक्ति बिना किसी लालच, इच्छा और नि:स्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करता है, वह आंतरिक सुख की अनुभूति करता है, क्योंकि बिना किसी लालच के दूसरों की सेवा करना परोपकार होता है. इससे बड़ा सुख जीवन इस दुनिया में और कुछ नहीं होता है.
संतोष की भावना
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, व्यक्ति को संतोषी होना बहुत ही जरूरी होता है. जो व्यक्ति संतोषी प्रकृति का होता है, वह जिंदगी के वास्तविक सुख की अनुभूति करता है. ऐसे में जिस व्यक्ति के पास जो कुछ भी है उसी में संतोष कर लेता है, दूसरों की तरक्की, यश और वैभव को देखकर ईर्ष्या की भावना नहीं रखता है, वह सुखी जीवन व्यतीत करता है.