फलोदी हादसे ने जोधपुर को झकझोर दिया,: एक साथ पहुंचीं 12 अर्थियां, मां-बेटी, दादी-पोते और देवरानी-जेठानी की चिताएं जलते देख रो पड़ा पूरा शहर

Update: 2025-11-03 17:40 GMT

जोधपुर। सोमवार का दिन चांदपोल माली समाज मोक्ष धाम के लिए सबसे दर्दनाक साबित हुआ। जब एक साथ 12 अर्थियां वहां पहुंचीं, तो पूरा श्मशान रो पड़ा। रविवार शाम फलोदी जिले के मतोड़ा गांव में हुए भयावह सड़क हादसे में सांखला परिवार के 12 सदस्य असमय काल के गाल में समा गए थे। सोमवार दोपहर जब उनकी पार्थिव देहें अंतिम संस्कार के लिए मोक्ष धाम पहुंचीं, तो ऐसा लगा जैसे पूरा जोधपुर सिसक उठा हो।

चांदपोल नैणची बाग और खटुकुड़ी इलाके में सुबह से ही मातम का माहौल था। दोपहर करीब दो बजे जब एक के बाद एक 12 अर्थियां मोहल्ले से उठीं, तो हर गली में सन्नाटा और हर आंख में आंसू थे। बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं – सभी रोते हुए अंतिम यात्रा के साथ चल रहे थे। हर कोई अविश्वास में था कि एक ही परिवार की इतनी जिंदगियां एक झटके में कैसे बुझ गईं।

मोक्ष धाम में ऐसा दृश्य शायद पहले कभी नहीं देखा गया। जहां आमतौर पर एक या दो अंतिम संस्कार होते हैं, वहीं सोमवार को 12 चिताएं एक साथ सजाई गईं। मां-बेटी, मां-बेटा, दादी-पोता, देवरानी-जेठानी – रिश्तों का पूरा संसार एक साथ राख में बदलने जा रहा था। दोपहर 3 बजकर 8 मिनट पर परिजनों ने जब एक साथ मुखाग्नि दी, तो वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें भर आईं।

सबसे भावुक क्षण वह था जब दस वर्षीय प्रणव की चिता उसकी दादी सज्जन कंवर के पास रखी गई। कल तक जो दादी की गोद में खेलता था, आज वही दादी के पास चिता पर लेटा था। परिवार के कांपते हाथों से जब प्रणव की चिता को अग्नि दी गई, तो माहौल शोक और करुणा से भर उठा।

मीना, मधु, खुश, टीना, शर्मिला, गीता, सानिया, दीक्षा, लता, रामेश्वरी, सज्जन कंवर और प्रणव – इन 12 जिंदगियों की विदाई के साथ पूरा जोधपुर गमगीन हो गया। श्मशान में फूलों के बजाय आंसुओं से विदाई दी गई। समाजसेवी, जनप्रतिनिधि और शहरभर के लोग अंतिम संस्कार में पहुंचे और नम आंखों से इन सभी को श्रद्धांजलि दी।


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