कृषक डीएपी उर्वरक के स्थान पर एसएसपी एवं एनपीके ग्रेडस उर्वरकों का करें प्रयोग
चित्तौड़गढ़ । संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार) दिनेश कुमार जागा ने बताया कि जिले में रबी 2024-25 की मुख्य फसलों में गेहूं, सरसों, चना व जौ की खेती होती है। जिले में सहकारी एवं निजी संस्थाओं में उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता है। किसानों के मांग के अनुरूप समय पर सभी उर्वरक उपलब्ध करवाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे है। कृषक डीएपी के स्थान पर सिंगल सुपर फास्फेट उर्वरकों का अधिक उपयोग कर अच्छी पैदावार ले सकते है।
संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार) ने बताया कि एसएसपी उर्वरक एक फास्फोरस युक्त उर्वरक है। जिसमें 16 प्रतिशत फास्फोरस एवं 11 प्रतिशत सल्फर की मात्रा पायी जाती है। इसमें उपलब्ध सल्फर के कारण यह उर्वरक तिलहन एवं दलहन फसलों के लिये डीएपी उर्वरक की अपेक्षा अधिक लाभदायक होता है। कृषकों को सलाह दी जाती है कि एक बेग डीएपी के स्थान पर तीन बेग एसएसपी व एक बैग यूरिया का संयोजन कर उपयोग करने से पैदावार में बढोतरी होती है। फसलों में मुख्य पोषक तत्वों की संतुलित आपूर्ति हेतु उपयुक्त एनपीके ग्रेडस उर्वरकों का भी प्रयोग कर सकते है। खेती में उत्पादन लागत कम करने एवं मृदा में पोषक तत्वों की उपलब्धता संतुलित बनाए रखने के लिए सॉयल हेल्थ कार्ड में दी गई अनुशंसा अनुसार उर्वरकों का उपयोग करने हेतु कृषकों से आह्वान किया जाता है।