चित्तौड़गढ़। विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (एसआईआर) कार्यक्रम में राजस्थान देश के अन्य 11 राज्यों से आगे निकलकर पहले स्थान पर है, वहीं चित्तौड़गढ़ राज्य के अव्वल जिलों में शामिल होकर एक मिसाल पेश कर रहा है। यह उपलब्धि यूं ही नहीं बनी, बल्कि फील्ड में डटे बीएलओं के समर्पण, जज्बे और अद्वितीय प्रतिबद्धता ने इसे संभव बनाया है। महिला बीएलओ भी जिला प्रशासन के साथ कदम से कदम मिलाकर चली।
4 नवम्बर से प्रारंभ यह अभियान 4 दिसम्बर तक चलेगा, लेकिन जिले में कई बीएलओं ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद 22 नवम्बर तक ही शत-प्रतिशत ऑनलाइन उपलब्धि हासिल कर ली। इनकी कहानियां प्रेरणा देती हैं कि काम बड़ा हो तो इच्छाशक्ति सबसे बड़ी ताकत होती है। जिला निर्वाचन अधिकारी आलोक रंजन ने बीएलओ के समर्पण को अद्वितीय बताते हुए नागरिकों से भी अपील की है कि वे भी अपना कर्तव्य निभा इस कार्य में सहयोग के लिए आगे आए।
1. सुनिता सोनीः बीमारी के बीच भी नहीं डिगा समर्पण
भाग संख्या 171 की बीएलओ व राप्रावि गाडरियावास की शिक्षिका सुनीता लंबे समय से गायनिक समस्या से जूझ रही हैं, लेकिन एसआईआर का काम उनके लिए प्राथमिकता रहा। जिले की पहली महिला बीएलओ बनीं जिन्होंने शत प्रतिशत कार्य पूरा कर नया कीर्तिमान रचा। सुनीता ने व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर संवाद बढ़ाया और आंगनवाडी कार्यकर्त्ता प्रेम शर्मा के साथ मिलकर गाँव की बहुओं से जुड़कर डाटा अपडेट किया। उनका संदेश साफ था कि - बेहतर रणनीति हो, तो तनाव नहीं सिर्फ उपलब्धि होती है।
2.सूरजमल धाकड़ः दिव्यांगता भी नहीं रोक सकी कदम
राउप्रावि मायरा के शिक्षक और भाग संख्या 218 के बीएलओ सूरजमल धाकड़ शारीरिक दिव्यांगता के बावजूद जिले के 100 प्रतिशत उपलब्धि वाले बीएलओ में शामिल हैं वहीं यह उपलब्घि हासिल करने वाले जिले के पहल दिव्यांग बीएलओ है। उन्होंने 90 प्रतिशत से अधिक मैपिंग पहले ही कर काम को सरल बनाया। बाहरी मतदाताओं की जानकारी रजिस्टर में संधारित की और जहां फोटो नहीं मिले, वहां स्वयं व्यवस्था कर समाधान किया।
3. कोमल कटारिया सिर्फ दो महीने पहले बनी बीएलओ, काम शत-प्रतिशत
राउप्रावि सूरजपोल की शिक्षिका और कोमल कटारिया को मात्र दो महीने पहले भाग संख्या 93 की बीएलओ बनाया गया, पर उन्होंने अनुभवी बीएलओं को भी पछाड़ दिया। ग्रामीण क्षेत्र की चुनौतियां थीं, मतदाता सहयोग कम था, पर मेहनत और संवाद ने राह आसान कर दी। गांव के प्रभावी व्यक्तियों को साथ लेकर उन्होंने हर समस्या का समाधान किया और समय से पहले लक्ष्य पूरा कर दिखाया।
4. गोपाललाल शर्माः दर्द रहा कायम, पर हौसला नहीं टूटा
राउप्रावि रामाखेड़ा भाग संख्या 19 के बीएलओ गोपाल लाल शर्मा एक दुर्घटना के बाद सिर व कमर दर्द से जूझ रहे हैं, फिर भी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटे। मैपिंग के अनुसार फॉर्म तैयार किए, मतदाताओं की कमी वाले फोटो खुद खींचे और प्रिंट करवाकर मुश्किलों को आसान बना दिया। सकारात्मक संवाद और अनुभव उनकी सबसे बड़ी ताकत रहे।
5. देवकीनंदन वैष्णवः शहरी क्षेत्र की चुनौतियों के बीच शत प्रतिशत काम
भाग संख्या 107 के बीएलओ व राउप्रावि कच्ची बस्ती के शिक्षक देवकीनंदन ने शहरी क्षेत्र में मजदूर, प्रवासी और माइग्रेशन जैसी चुनौतियों के बीच 955 मतदाता गणना पत्र 21 नवम्बर को ही पूरा कर लिया। स्काउटिंग के अनुभव ने उन्हें सही रणनीति दी और वे जिले के तेज़तर बीएलओ में शामिल हुए।
