कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति रथ यात्रा का चित्तौड़गढ़ में स्वागत

By :  vijay
Update: 2025-03-11 09:37 GMT

चित्तौड़गढ़ | श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन एवं श्री कृष्णम महाकाव्य के माध्यम से जन जागृति अभियान के तहत देश के 100 नगरों में जनसंपर्क सभाएं एवं महाकाव्य पर आधारित संगीतमय प्रस्तुति हेतु श्री कृष्ण रथ यात्रा पांच राज्यों गुजरात, राजस्थान ,हरियाणा, दिल्ली, पश्चिम उत्तर प्रदेश होते हुए मथुरा पहुंचेगी इसी के क्रम में 9 तारीख को 7:30 बजे परशुराम सर्किल यात्रा चित्तौड़गढ़ पहुंची जहा सनातन हिंदू समाज के सभी संगठनों सहित विप्र फाउंडेशन के पदाधिकारीगण द्वारा नगर पालिका के सामने परशुराम सर्किल पर यात्रा का भव्य स्वागत किया गया , साथी परशुराम सर्किल पर परशुराम जी की प्रतिमा का माल्यार्पण कर कृष्ण भूमि को मुक्त करने का संकल्प लिया गया तत्पश्चात रथ यात्रा के साथ संपूर्ण सनातन समाज के द्वारा भजन संकीर्तन एवं आरती का आयोजन किया गया यात्रा के उद्देश्य का उद्बोधन एवं नेतृत्व आचार्य राजेश्वर राष्ट्रीय अध्यक्ष संयुक्त भारतीय धर्म संसद एवं यात्रा का संयोजन पंडित नंदकिशोर दयालपुरा राष्ट्रीय संगठन मंत्री संयुक्त भारतीय धर्म संसद द्वारा किया गया यात्रा के साथ श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन रथ एवं बस में सैकड़ो व्यक्ति सवार थे

रथ का स्वागत विप्र फाउंडेशन के प्रदेश उपाध्यक्ष सरपंच श्याम शर्मा, महेंद्र जोशी , महेश जोशी ,जिला अध्यक्ष शिरीष त्रिपाठी, एडवोकेट जयदीप बिल्लू, धीरज सुखवाल, संरक्षक गोपाल शर्मा, महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष इंदिरा शर्मा, सत्यनारायण ओझा, कार्यक्रम के समन्वयक मदन खंडेलवाल , सुनील गोड , योगेश सारस्वत, अरविंद व्यास, दिनेश काकड़ा , राजेश व्यास ,राजकुमारी ओझा ,कविता शर्मा, नीलम पालीवाल, दयाशंकर त्रिपाठी, नगर अध्यक्ष भगवती प्रसाद शर्मा, शुभम सुखवाल, कमलेश त्रिवेदी, प्रमोद राजपुरोहित, भारतीय मजदूर संघ सीमेंट इकाई प्रदेश अध्यक्ष रतन शर्मा, बजरंग दल के जिला संयोजक मनोज साहू एवं जिला कार्यकारिणी सहित महिला मोर्चे की प्रदेश सचिव अंजू दाधीच ,इत्यादि उपस्थित रहे। आचार्य राजेश्वर जी राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय धर्म संसद अपनेे उद्बोधन में याात्राके उद्देश्य के बारे में बताया की वर्तमान मे कृष्ण जन्म भूूमि मुक्ति यात्रा कृृष्ण भूमि केे ऐतिहासिक संदर्भ को जनमानस के सामनेे लाने सहित भारतीय मूल के धर्म संप्रदाय हिंदू, जैन, सिख ,बौद्ध इत्यादि के मध्य सामाजिक समरसता, एकीकरण एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान हेतु संयुक्त भारतीय धर्म संसद की स्थापना 21 में 2016 को उज्जैन महाकुंभ में संदीपनी आश्रम में देश के विभिन्न क्षेत्रों से पधारे हुए विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों, साधु संतो एवं समाजों कएवंविद्वान व्यक्तियों की उपस्थिति में की गई थी उज्जैन महाकुंभ के दौरान सभी धर्माचार्य द्वारा यह माना गया की नई पीढ़ी अपने धार्मिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों से धीरे-धीरे दूर हो रही है और नई पीढ़ी से हम इनको जोड़ नहीं पा रहे हैं यहां तक की हमारी सनातन व्यवस्था विभिन्न धर्मो, पंथ और जाति में बंटकर रह गई है समाज में जातिगत विद्वेष चरम पर है इसलिए ऐसा कोई अभियान चलाना चाहिए जिससे लोग अपनी निजी महत्वाकांक्षाओ की पूर्ति की बजाय सनातन संस्कृति के संरक्षण हेतु सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित वैचारिक और वैज्ञानिक क्रांति को मूर्त रूप दे सके इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य राजेश्वर जी ने 3 वर्ष में सवा लाख किलोमीटर सड़क मार्ग की यात्रा करते हुए भारत के 3600 से अधिक गांव शहर में छोटी बड़ी सभाएं व बैठक कर संदेश जन सामान्य तक पहुंचाने के लिए विस्तार कर ले कार्य किया आचार्य राजेश्वर जी ने सभा के दौरान बताया कि धर्म के वास्तविक स्वरूप को जनसाधारण तक पहुंचाना, युवाओं को अपनी सांस्कृतिक धरोहर से परिचित कराना, सांस्कृतिक एवं धार्मिक धरोहर से छेड़छाड़ को रोकना, विभिन्न धर्म गुरु और विद्वानों के माध्यम से प्रमाणिक जानकारियां जन जन तक पहुंचाना, प्रत्येक जाति वर्ग के लोगों को धार्मिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए जोड़ना ,भारत की प्राचीन विधाए योग, आयुर्वेद, ज्योतिष, वास्तु शास्त्र इत्यादि का प्रचार प्रसार करना। सन 2001 में राम मंदिर निर्माण का संकल्प लेकर जयपुर से अयोध्या तक 51 दिन कि श्री राम कथा यात्रा की थी जिसे द्वारकाधीश पीठ के शंकराचार्य स्वामी जी स्वरूपानंद महाराज ने जयपुर से रवाना किया तथा मंहत श्री नृत्य गोपाल दास जी महाराज ने अयोध्या में अगवानी की थी वर्तमान में श्री कृष्ण जन्मभूमि को मुक्त करने श्री कृष्ण रथ यात्रा गुजरात से मथुरा तक 3100 किलोमीटर की यात्रा है जिसे दिनांक 4 से 23 मार्च 2025 में पांच राज्यों गुजरात राजस्थान हरियाणा दिल्ली पश्चिमी उत्तर प्रदेश होते हुए मथुरा पहुंचने का संकल्प है इस यात्रा के माध्यम से श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद और उसकी ऐतिहासिक तथ्यों को जन-जन तक पहुंचाना और इसके निराकरण के लिए सरकार पर दबाव बनाना मुख्य उद्देश्य है

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