19 करोड़ रुपये का साइबर फ्रॉड: पुलिस ने मुख्य आरोपी बरकत अली को गिरफ्तार किया

Update: 2025-09-05 15:21 GMT

अलवर, : अलवर पुलिस ने 'ऑपरेशन साइबर संग्राम' के तहत साइबर फ्रॉड के सबसे बड़े मामलों में से एक का पर्दाफाश किया है। वैशाली नगर थाना पुलिस ने मुख्य आरोपी बरकत अली, जो सूर्यनगर में किराए के मकान में रहता था, को 3 सितंबर 2025 को गिरफ्तार किया। बरकत के 8 से 10 बैंक खातों में पिछले 6 महीनों में 19 करोड़ 45 लाख रुपये की साइबर ठगी की राशि जमा हुई थी। यह राशि देश के विभिन्न राज्यों से साइबर ठगी का शिकार हुए लोगों से संबंधित है।

मामले का खुलासा

पुलिस को देश के विभिन्न राज्यों से 32 शिकायतें प्राप्त हुई थीं, जिनमें साइबर फ्रॉड के बैंक खातों की जांच के दौरान बरकत अली के खातों का पता चला। वैशाली नगर पुलिस ने बरकत को पानी की टंकी के पास से हिरासत में लिया, जहां वह किराए के मकान में रह रहा था। तलाशी के दौरान पुलिस को उसके ठिकाने से निम्नलिखित सामग्री मिली:

17 चेकबुक

5 बैंक पासबुक

14 एटीएम कार्ड

कई लोगों के हस्ताक्षर युक्त चेक

3 आधार कार्ड

2 पैन कार्ड

2 स्वाइप मशीन

आईसीआईसीआई बैंक, यश बैंक और एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक के क्यूआर कोड स्कैनर

पुलिस अधीक्षक सुधीर चौधरी ने बताया कि बरकत अली एक संगठित गिरोह का सरगना था, जो साइबर ठगों को कमीशन के आधार पर बैंक खाते उपलब्ध कराता था। इस गिरोह में हरि सिंह मीना, जाहुल खान और मुकेश मीना भी शामिल थे। यह गिरोह 15 से 20 प्रतिशत कमीशन लेकर ठगी की राशि को खातों में जमा करता और निकालता था।

जांच में चौंकाने वाले खुलासे

जांच में पता चला कि बरकत अली के पास अलग-अलग पतों पर कई पहचान पत्र थे, जिनका उपयोग फर्जी बैंक खाते खोलने में किया गया। उसके खातों में जमा 19 करोड़ 45 लाख रुपये की राशि देशभर में दर्ज साइबर फ्रॉड की शिकायतों से जुड़ी थी। पुलिस को संदेह है कि बरकत पिछले 6 महीनों से इस गतिविधि में तेजी से सक्रिय था, हालांकि इससे पहले भी वह इस तरह के काम में शामिल हो सकता है।

बरकत ने एक फर्म बनाई थी, जिसके जरिए मोटी रकम ली जाती थी। इसके अलावा, ठगी की राशि का कुछ हिस्सा क्रिप्टोकरेंसी में भी निवेश किया गया, जिसके सबूत पुलिस को मिले हैं। पुलिस अब इस मामले में गहन जांच कर रही है और अन्य संलिप्त लोगों की तलाश में जुटी है।

आरोपी का बैकग्राउंड

बरकत अली, पुत्र मोहम्मद इशाक, मूल रूप से गोपालगढ़ (डीग) का निवासी है, लेकिन वह कई सालों से अलवर में रह रहा था। उसकी दो पत्नियां हैं, जिनमें से एक के बच्चे हैं और दोनों अलग-अलग रहती हैं। बरकत का भाई शौकत अली रैणी थाने में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत है, लेकिन पुलिस ने स्पष्ट किया कि इस मामले में शौकत की कोई संदिग्ध भूमिका सामने नहीं आई है।

पुलिस की कार्रवाई

पुलिस ने इस कार्रवाई में सहायक पुलिस अधीक्षक कांबले शरण गोपीनाथ, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉ. प्रियंका और सीओ उत्तर शहर अंगद शर्मा के मार्गदर्शन में काम किया। वैशाली नगर एसएचओ गुरुदत्त सैनी की टीम ने बरकत को हिरासत में लिया। इस ऑपरेशन में साइक्लोन सेल के हेड कांस्टेबल संदीप, अमित, करण और संजय भी शामिल थे। पुलिस अब गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में छापेमारी कर रही है ताकि इस साइबर फ्रॉड नेटवर्क के और राज खुल सकें।


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