जिला परिषद बना सर्वाधिक स्वच्छ और सुंदर कार्यालय, जीरो प्लास्टिक की पॉलिसी भी अपनाई

Update: 2025-02-04 13:04 GMT

राजसमंद (राव दिलीप सिंह परिहार) जिला कलक्टर बालमुकुंद असावा के निर्देशन में शुरू किए गए माय ऑफिस क्लीन ऑफिस अभियान अंतर्गत जिला परिषद राजसमंद को जिला मुख्यालय स्थित सबसे स्वच्छ और सुंदर राजकीय कार्यालय घोषित किया गया है। जिला परिषद सीईओ बृजमोहन बैरवा ने कहा है कि यह उपलब्धि एक टीम प्रयास का परिणाम है, जिसमें प्रत्येक कार्मिक की सक्रिय भागीदारी और जिला परिषद की सफाई रणनीतियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

‘माय ऑफिस, क्लीन ऑफिस’ अभियान के तहत जिला कलक्टर के निर्देशन में गठित दल द्वारा जिला मुख्यालय स्थित राजकीय कार्यालयों का निरीक्षण कर स्वच्छता का आँकलन किया गया था जिसमें जिला परिषद सर्वाधिक स्वच्छ और सुंदर पाया गया। अभियान के बाद अन्य कार्यालयों में भी स्वच्छता की स्थिति पहले से काफी बेहतर पाई गई।

मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री बृजमोहन बैरवा ने कहा है कि स्वच्छता केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा होना चाहिए। एसीईओ डॉ सुमन अजमेरा ने बताया कि कार्यालय में स्वच्छता बनाए रखने के लिए कई रणनीतियाँ बनाई गई हैं और इनका पालन भी पूरी तरह से किया जा रहा है।

दिन भर रहती है ग्रामीणों की आवाजाही:

ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग अंतर्गत जिला परिषद एक महत्वपूर्ण इकाई है जहां जिलेभर की समस्त पंचायत समितियों तथा ग्राम पंचायतों के जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, कर्मचारियों, ग्रामीणों, किसानों, संगठनों आदि का नियमित रूप से आना-जाना लगा रहता है। ऐसे में यहाँ कचरा या अन्य प्रकार की गंदगी फैलने की संभावना भी अधिक रहती है, बावजूद इसके यहाँ स्वच्छता की जो मिसाल कायम हुई है वह सराहनीय है।

ज़िला परिषद ने न केवल कार्यालय की स्वच्छता को सुनिश्चित किया है, बल्कि यह संदेश भी दिया है कि स्वच्छता हमारे समाज के हर हिस्से में लागू होनी चाहिए। इस सफलता के लिए मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कार्यालय के सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को बधाई दी है।

अपनाई स्वच्छता रणनीतियाँ और कार्यशैली:

एसीईओ डॉ सुमन अजमेरा ने बताया कि जिला परिषद में स्वच्छता को दैनिक दिनचर्या में शामिल कर सभी कर्मचारियों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है। अभियान अवधि के अलावा भी नियमित रूप से कार्यालय के प्रत्येक कोने की सफाई की जाती है, साथ ही कचरा निपटान की भी व्यवस्था की गई। दिन में अलग-अलग समय पर सफाई संबंधी गतिविधियां की जाती है जिससे कि टुकड़ों में सफाई होकर दिनभर स्वच्छता बरकरार रहती है।

कर्मचारियों को प्रतिदिन कार्यालय से निकलने से पहले गंदगी साफ कर ही कचरा निस्तारित कर निकलने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा नियमित सफाई के दौरान डस्टिंग, फर्श की सफाई, कूड़े का निपटान, और टॉयलेट्स की सफाई पर ध्यान दिया गया। कार्मिकों द्वारा भी पूर्ण सहयोग प्रदान किया जाता है।

जिला परिषद बना पूर्णतः प्लास्टिक मुक्त :

इधर सीईओ बृजमोहन बैरवा की पहल से जिला परिषद जिले का पहला 'पूर्ण रूप प्लास्टिक मुक्त परिसर' भी बना है। उनके द्वारा कार्यालय परिसर में प्लास्टिक के उपयोग को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है। बैठकों और अन्य आयोजनों में भी प्लास्टिक की बोतलों के बजाय स्टील, ग्लास और मिट्टी की बोतलें उपयोग में ली जा रही है। प्लास्टिक फ़ाइल कवर भी नहीं खरीदने के निर्देश दिए गए हैं।

कार्मिक को करते हैं प्रेरित:

सीईओ और एसीईओ द्वारा नियमित रूप से सभी कर्मचारियों को स्वच्छता के लिए प्रेरित किया जाता है। एसीईओ डॉ. सुमन अजमेरा के साथ एक एक समर्पित टीम लगाई गई है, जो नियमित रूप से कार्यालय की सफाई व्यवस्था की निगरानी करती है। उन्होंने कर्मचारियों को प्रेरित किया है कि वे अपने कार्यस्थल को स्वच्छ और व्यवस्थित रखें।

प्रत्येक शाखा के शाखा प्रभारी को 'स्वच्छता प्रभारी' नियुक्त किया गया है, जो अपनी शाखा की सफाई की गुणवत्ता की निगरानी करते हैं। कार्यालय परिसर में एक सुंदर गार्डन स्थित है जिसे भी बहुत ही अच्छे तरीके से मेंटेन किया हुआ है। यहाँ पौधों को पानी देना, उन्हें सजाना, और सूखी पत्तियों को हटाना पौधों की देखभाल और वृक्षारोपण पर भी विशेष ध्यान दिया गया है, ताकि वातावरण स्वच्छ और हरित रहे। समस्त कर्मचारी अपनी सामग्री, दस्तावेज़, और अन्य सामान को व्यवस्थित रखते है ताकि कक्ष साफ और सुसंगत रहे।

यह है माय ऑफिस-क्लीन ऑफिस अभियान:

जिला प्रशासन द्वारा राजकीय कार्यालयों में पूर्णतः स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए माय ऑफिस क्लीन ऑफिस अभियान चलाया जा रहा है जिसके तहत हर माह में एक शनिवार को राजकीय अवकाश के दिन कार्मिक कार्यालयों की सफाई करते हैं। इस अभियान से जिलेभर के सरकारी कार्यालयों की स्थिति में काफी सुधार देखने को मिला है। 

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