गोवंश धारी किसानों को वर्मी कम्पोस्ट इकाई निर्माण करने पर मिलेंगे 10 हजार

By :  vijay
Update: 2024-09-19 14:58 GMT


राजसमन्द( राव दिलीप सिंह)रासायनिक खेती के दुष्प्रभाव को कम करने एवं किसानों को जैविक खेती की ओर बढ़ावा देने के उद्देश्य से किसानों को उनके गोवंश से, जैविक खाद उत्पादन को प्रेरित करने के लिये कृषि विभाग की ओर से राज्य के किसानों के लिए गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना के दिशा-निर्देश कृषि आयुक्तालय राजस्थान जयपुर की ओर से जारी किये गये। जिसमें गोवंश धारी किसानों को अनुदान विभागीय प्रावधानानुसार 50 प्रतिशत या अधिकतम 10000 रुपये गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना के तहत वर्मी कम्पोस्ट इकाई निर्माण करने पर प्राप्त होगें। योजना से एक ओर पर्यावरण, जीव एवं वनस्पति पर रसायन के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकेगा, वहीं दूसरी ओर मृदा के स्वास्थ्य एवं उर्वरा शक्ति को बढा कर टिकाउ खेती की जा सकेगी। राजसमन्द जिले को घोषणा के अनुसार 400 वर्मी कम्पोस्ट इकाई निर्माण के लक्ष्य आवंटित है।

संयुक्त निदेशक कृषि कैलाश चन्द मेघवंशी ने बताया कि जिले के समस्त किसान जिनके पास न्यूनतम 05 गोवंश हो एवं कृषि योग्य भूमि का स्वामित्व हो। संयुक्त खातेदारी की स्थिति में सहखातेदार आपसी सहमति पर एक ही खसरे में अलग-अलग वर्मी कम्पोस्ट इकाई बनाने पर अनुदान के लिये पात्र होंगे। साथ ही राज्य सरकार के परिपत्रानुसार मंदिर के नाम खेती की जमीन पर भी वर्मी कम्पोस्ट इकाई निर्माण पर निर्धारित पंजिका में वर्णित पुजारी मंदिर भूमि के संरक्षक के रुप में अनुदान के लिये पात्र होंगे।

कैलाश चन्द मेघवंशी के अनुसार योजनान्तर्गत पात्र कृषक अपने स्वयं के एसएसओ आईडी/ जन आधार से स्वयं/ई-मित्र पर जमाबंदी (छः माह से अधिक पुरानी नहीं) अपलोड करा आवेदन कर सकता है। किसान साथी पोर्टल पर ऑनलाइन प्राप्त आवेदनों की जांच पश्चात प्रशासनिक स्वीकृति जारी होने के उपरान्त ही अधिकतम 45 दिवसे में कृषक द्वारा विभागीय मापदण्ड अनुसार वर्मी कम्पोस्ट इकाई का निर्माण करना होगा।

जैविक उर्वरक उत्पादन के लिये विभागीय मापदण्ड अनुसार वर्मी कम्पोस्ट इकाई निर्माण पर लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 10000 रुपये प्रति इकाई आकार अनुसार यथा अनुपात अनुदान देय होगा। वर्मी कम्पोस्ट इकाई की स्थापना के लिये 20 फीट 3 फीट x 1.5-2 फिट आकार की एक बेड की इकाई अथवा 10 फीट 3 फीट 1.5-2 फिट आकार की दो बैड की इकाई पर अनुदान देय होगा। शेड में स्थानीय उपलब्धता के अनुसार टिन आदि की छाया सामग्री उपयोग में ली जावे। एक इकाई में कम से कम 8-10 किलोग्राम केचुंऐं कृषक स्वयं क्रय कर उपयोग करेगा। साथ ही प्रत्येक बेड में ट्राइकोडर्मा, पीएसबी, एजोबेक्टर एवं नीम खली स्वंय के स्तर से उपयोग करेगा। वर्मी बेड तैयार करने के लिये सहायक सामग्री यथा दांतली, पंजा, जारा, पाईप, फावड़ा, परात आदि उपकरण किसान के पास उपलब्ध होने चाहिये। इस प्रकार निर्मित वर्मी कम्पोस्ट इकाई पर सूचना बोर्ड विभागीय योजना का विवरण अंकित करना होगा एवं उक्त इकाई को कम से कम तीन वर्ष तक सम्पूर्ण रख-रखाव कृषक द्वारा करना होगा।

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