कुंभलगढ़ में नियमों को ताक पर रख चल रहा 'अर्थ स्वास्थ्य केंद्र', नर्सें करा रहीं डिलीवरी; बच्चों को नहीं लगते टीके, प्रशासन की मिलीभगत पर सवाल

By :  vijay
Update: 2025-07-21 06:13 GMT
कुंभलगढ़ में नियमों को ताक पर रख चल रहा अर्थ स्वास्थ्य केंद्र, नर्सें करा रहीं डिलीवरी; बच्चों को नहीं लगते टीके, प्रशासन की मिलीभगत पर सवाल
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राजसमंद,  : राजसमंद जिले के कुंभलगढ़ में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां 'अर्थ स्वास्थ्य केंद्र' नामक एक अस्पताल कथित तौर पर नियमों को ताक पर रखकर संचालित हो रहा है। आरोप है कि यह केंद्र बिना किसी स्थायी डॉक्टर की मौजूदगी के चल रहा है और यहां नर्सों द्वारा धड़ल्ले से डिलीवरी कराई जा रही हैं, जिससे मां और बच्चे दोनों का जीवन खतरे में है।

डॉक्टर नदारद, नर्सें करा रहीं डिलीवरी, मोटी रकम की वसूली

जानकारी के अनुसार, इस 'अर्थ स्वास्थ्य केंद्र' में हर महीने लगभग 80 से 90 डिलीवरी कराई जाती हैं। हमारी टीम की पड़ताल में सामने आया कि यहां कोई योग्य चिकित्सक मौजूद नहीं होता। कार्यरत नर्सों ने खुद बताया कि वे डिलीवरी के लिए 2500 से 2000 रुपये तक चार्ज करती हैं। उनका कहना है कि "इमरजेंसी होने पर डॉक्टर को सूचना दे दी जाती है और डॉक्टर कॉल पर सलाह दे देते हैं।"

शिशुओं को नहीं लगते टीके, सरकारी सुविधाओं से वंचित

यह गंभीर स्थिति न केवल मां और बच्चे के जीवन को सीधे खतरे में डालती है, बल्कि इसके दूरगामी परिणाम भी हैं। इस केंद्र में जन्में बच्चों को सरकारी टीकाकरण (टीके) नहीं लगते हैं, जिससे वे कई जानलेवा बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं और योजनाओं का लाभ भी इन बच्चों तक नहीं पहुंच पाता, क्योंकि उनका जन्म एक अवैध प्रतिष्ठान में होता है।

'परमिशन के लिए अप्लाई' का बहाना, प्रशासन की भूमिका पर सवाल

जब 'अर्थ स्वास्थ्य केंद्र' के कर्मचारियों से इस बारे में बात की गई, तो उन्होंने बताया कि "हमने परमिशन के लिए अप्लाई कर रखा है।" हालांकि, यह सवाल खड़ा होता है कि केवल आवेदन करने से कोई भी संगठन या अस्पताल कैसे चलाया जा सकता है, जबकि वैध अनुमति के बिना संचालन पूर्णतः अवैध है।

यह पूरा प्रकरण स्थानीय प्रशासन की घोर लापरवाही को उजागर करता है। यदि यह अस्पताल नियमों में नहीं है, तो यह इतने बड़े पैमाने पर कैसे संचालित हो रहा है? और यदि यह चल रहा है, तो अभी तक किसी भी अधिकारी ने इसकी चेकिंग क्यों नहीं की? यह सवाल उठ रहा है कि क्या प्रशासन की मिलीभगत से यह गोरखधंधा चल रहा है?

जिला प्रशासन को तत्काल इस मामले में संज्ञान लेकर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि निर्दोष लोगों के जीवन से खिलवाड़ बंद हो सके और स्वास्थ्य सेवाओं की पवित्रता बनी रहे।

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