राजसमंद में मार्बल व्यापारियों का उग्र प्रदर्शन, रॉयल्टी दरों में वृद्धि के खिलाफ कलेक्ट्रेट का घेराव

Update: 2025-08-19 12:41 GMT

राजसमंद राहुल |राजस्थान के राजसमंद जिले में मार्बल उद्योग से जुड़े संगठनों ने मंगलवार को सरकार द्वारा मार्बल रॉयल्टी दरों में की गई बढ़ोतरी के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया। विरोध स्वरूप जिले के 20 से अधिक संगठनों के हजारों पदाधिकारियों और श्रमिकों ने केलवा चौपाटी से रैली निकालकर कलेक्ट्रेट का घेराव किया।

प्रदर्शनकारी संगठनों का कहना है कि बीते 18 दिनों से खदानें बंद हैं और सरकार ने अब तक उनकी मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। विरोध तेज करते हुए माइनिंग एसोसिएशन ने सरकार को दो दिन का अल्टीमेटम दिया है। यदि इस अवधि में रॉयल्टी दरें कम नहीं की गईं, तो उद्योग अपने बिजली कनेक्शन कटवाने की प्रक्रिया शुरू करेंगे।

'यह सिर्फ ट्रेलर है' — माइनिंग एसोसिएशन

माइनिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष गौरव सिंह राठौड़ ने चेतावनी भरे लहजे में कहा, "हम इतने दिन से शांतिपूर्वक अपनी बात रख रहे थे, लेकिन सरकार ने हमें डरपोक समझ लिया। आज ढाई से तीन हजार लोगों ने कलेक्ट्रेट का घेराव किया है — यह तो सिर्फ एक ट्रेलर है। अगर मांगें नहीं मानी गईं, तो स्टोन इंडस्ट्रीज से जुड़े सभी उद्योग अपने बिजली कनेक्शन कटवा देंगे, जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।"

'रोजी-रोटी का सवाल है' — व्यापारियों की पीड़ा

एसोसिएशन के संरक्षक तनसुख बोहरा ने बताया कि 18 दिनों से खदानें बंद होने के कारण हजारों लोगों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा, "सरकार ने इस मुद्दे को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई, जिसके कारण हमें मजबूर होकर सड़कों पर उतरना पड़ा। अब अगला कदम यह होगा कि जनप्रतिनिधियों को भी इस आंदोलन में शामिल किया जाएगा, ताकि हमारी आवाज सरकार तक पहुंच सके।"

सरकार के खिलाफ नारेबाजी, विरोध तेज

कलेक्ट्रेट परिसर में हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और रॉयल्टी दरों में वृद्धि को जनविरोधी कदम बताया। पूरे जिले में मार्बल उद्योग से जुड़े लोगों में आक्रोश की लहर है और आगामी दिनों में आंदोलन और तेज होने की आशंका जताई जा रही है।

प्रभाव

मार्बल उद्योग राजस्थान की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख हिस्सा है, और रॉयल्टी दरों में बढ़ोतरी से जुड़े इस आंदोलन ने न केवल स्थानीय व्यापार को प्रभावित किया है, बल्कि हजारों मजदूरों के रोजगार पर भी संकट खड़ा कर दिया है। अब सबकी निगाहें सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं।

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