हाथ में कांवड़, दिल में भक्ति, और माथे पर जात का सवाल ये कैसा समाज बना लिया, जहाँ इंसान नहीं, उसकी जात देखी जाती है!
राहुल आचार्य राजसमंद राजसमंद ज़िले के फरारा महादेव मंदिर में सामाजिक ठेकेदारों द्वारा एक श्रद्धालु को उसके "जन्म से मिले परिचय" के आधार पर मंदिर में प्रवेश से रोके जाने का मामला अब विकराल रूप ले चुका है। पीड़ित युवक यशवंत रेगर, जो एक कांवड़ यात्रा के अंतर्गत अपने साथियों के साथ भोलेनाथ का जलाभिषेक करने आया था, उसे मंदिर के गर्भगृह में इसलिए प्रवेश से वंचित कर दिया गया क्योंकि वह एक पिछड़ी जाति से है।
👉 मंदिर में आस्था नहीं, अब पूछी जाती है जाति!
जब यह भीड़ देख रहे हैं, ये किसी धर्म या जाति की नहीं — यह सर्व हिंदू समाज की भीड़ है। हाथों में तख्तियां हैं —
"बाटोगे तो मारेंगे!"
यह चेतावनी है उन सामाजिक ठेकेदारों के लिए, जो मंदिर के द्वार पर "जाति की चौकीदारी" कर रहे हैं।
> "शिव अंतर्यामी हैं — वह जात नहीं पूछते,
फिर तेरी औकात क्या है जो द्वार रोकते?"
पूरा मामला:
27 जुलाई की रात यशवंत रेगर अपने 15–20 साथियों के साथ कांवड़ लेकर फरारा महादेव मंदिर पहुँचे। जब वह जल चढ़ाने के लिए कतार में खड़े थे, तभी मंदिर कमेटी सदस्य पवन कुमार प्रजापत ने जाति पूछी और कथित रूप से उन्हें "नीची जाति" का कहकर गर्भगृह में प्रवेश से मना कर दिया। विरोध करने पर अपशब्द कहे गए और धक्के मारकर बाहर निकाल दिया गया।
इसके बाद लाला सिंह नामक व्यक्ति ने भी मौके पर पहुँचकर दबंगई दिखाई और उनका प्रवेश रोका।
> "जात का दरवाज़ा खोलते हैं मंदिरों में अब,
इंसानियत वहीं दम तोड़ देती है जहाँ भक्ति शुरू होती है!"
कानूनी कार्यवाही:
राजनगर थाने में दर्ज शिकायत के अनुसार, पुलिस ने बीएनएस की धारा 126(2) तथा अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धाराएं 3(1)(R)(S)(Za)(c), 3(2)(5a), 3(5) के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
जांच अधिकारी: डीवाईएसपी राहुल जोशी, एससी/एसटी सेल, राजसमंद।
पीड़ित की मांग:
यशवंत रेगर ने सभी दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी और मंदिर कमेटी के विरुद्ध सख्त कानूनी कार्यवाही की माँग की है। उनका कहना है: "हम शिव के द्वार गए थे — समाज के ठेकेदारों के नहीं। अपमान भक्ति का नहीं, इंसानियत का हुआ है।"समाज से सवाल: क्या मंदिर अब जाति प्रमाणपत्र माँगेंगे? क्या शिव की भक्ति भी अब सामाजिक ठेकेदारों की मंज़ूरी से होगी? क्या धर्म अब विभाजन का माध्यम बन गया है?
> "ये मंदिर है या जाति की चौपाटी —जहाँ भक्ति को तोला जाता है, इंसान की औकात से?"
