राजसमंद। कुम्भलगढ़ के ग्राम पंचायत धानीन की निवासी श्रीमती शांति देवी के जीवन में वर्ष 2017 एक अंधकारमय मोड़ लेकर आया। उसी वर्ष उनके पति श्री बाबूलाल का निधन हो गया।
पति की मृत्यु के बाद परिवार की जिम्मेदारियाँ उनके कंधों पर आ गईं, परंतु राजस्व रिकॉर्ड की एक छोटी-सी त्रुटि ने उन्हें वर्षों तक बड़ी कठिनाइयों में डाल दिया। राजस्व अभिलेखों में बाबूलाल की जगह बालूलाद दर्ज था, जिसके कारण विरासत का नामांतरण खुल नहीं पा रहा था।
इस त्रुटि के चलते श्रीमती शांति देवी राज्य सरकार की ओर से किसानों और परिजनों के लिए मिलने वाले सभी परिलाभों से वंचित रहीं। 8 वर्षों तक भटकने के बाद भी समाधान न मिलने से वे टूट-सी गई थीं और अपने आप को असहाय महसूस कर रही थीं।
किन्तु, राज्य सरकार की ओर से चलाए जा रहे ग्रामीण सेवा शिविर ने उनके जीवन में आशा की नई किरण जगाई। दिनांक 18 सितम्बर 2025 को ग्राम पंचायत धानीन में आयोजित शिविर के दौरान उन्होंने अपनी व्यथा प्रार्थना पत्र के माध्यम से उपखंड अधिकारी सुश्री साक्षी पुरी को बताई।
संवेदनशीलता और तत्परता का परिचय देते हुए उपखंड अधिकारी ने उसी समय राजस्व विभाग को शुद्धि के आदेश पारित किए। आदेश मिलते ही तहसीलदार श्री तोलाराम देवासी ने मौके पर ही विरासत का नामांतरण दर्ज करवाया और उसकी प्रमाणित प्रतिलिपि श्रीमती शांति देवी को सौंपी।
जैसे ही प्रतिलिपि उनके हाथों में पहुंची, शांति देवी की आंखों से वर्षों के दुख और संघर्ष से उपजे आंसू छलक पड़े—लेकिन इस बार ये आंसू राहत और खुशी के थे। उन्होंने भावुक स्वर में कहा— “आज मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मेरे पति की आत्मा को भी शांति मिली होगी। आठ साल की पीड़ा आज खत्म हो गई है। अब मुझे लगता है कि सरकार सचमुच हमारे लिए है।”
इस कार्य में ग्राम पंचायत के सरपंच श्री सोहनलाल जैन, भु.अ.नि. श्री राकेश मीना तथा पटवारी श्री सचिन प्रजापति का विशेष सहयोग रहा।
लाभार्थी ने कहा कि ग्रामीण सेवा शिविर केवल प्रशासनिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि उन अनगिनत पीड़ित परिवारों के लिए जीवन में नई रोशनी लेकर आने वाले जनकल्याण के सच्चे पर्व हैं।
