धूमधाम से निकली विक्रमादित्य पवित्र ज्योति कलश संस्कृति चेतना यात्रा

राजसमन्द (राव दिलीप सिंह परिहार)अखिल भारतीय नववर्ष समारोह समिति उदयपुर एवं आलोक संस्थान राजसमन्द के संयुक्त तत्वावधान में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की पूर्व संध्या पर विक्रमादित्य पवित्र ज्योति कलश संस्कृति चेतना यात्रा सांयकाल 5 बजे अमरनाथ धाम मंदिर, शिवनगर कॉलोनी, आलोक स्कूल के पास से प्रारंभ होकर द्वारकाधीश मंदिर कांकरोली तक विभिन्न झांकियों के साथ निकाली गई व विदा विक्रम संवत् 2081 एवं स्वागत विक्रम संवत् 2082 का झील में दीप दान व भारत माता की भव्य आरती के साथ आयोजन किया गया ।
*प्रशासक मनोज कुमावत, प्राचार्य ललित गोस्वामी व सहायक प्रशासक ध्रुव कुमावत ने पवित्र ज्योति को प्रज्ज्वलित कर यात्रा का शुभारंभ किया* ।
*प्राचार्य ललित गोस्वामी ने बताया कि नव संवत्सर की पूर्व संध्या पर शाम 5 बजे विक्रमादित्य पवित्र ज्योति कलश संस्कृति चेतना यात्रा अमरनाथ मंदिर से प्रारम्भ हुई । शहर के हर मार्ग व चौराहो पर नगरवासियों, व्यापार संगठनों, अभिभावकों ने विक्रमादित्य पवित्र ज्योति कलश संस्कृति चेतना यात्रा का स्वागत पान का बीड़ा, श्री फल, उपरणा, तुलसी की माला व फूल मालाओ से किया* । जगह जगह यात्रा में शामिल कार्यकर्ताओं को जलपान भी कराया गया । इस यात्रा में विभिन्न गाड़ियों को फूल मालाओ बैनरो व झंडियों से आकर्षक रूप से सजाया गया । विभिन्न झांकियों से सजी गाड़ियों में देवी देवताओ व महापुरुषो का स्वरुप धारण कर छोटे छोटे बच्चे बैठे । *इन झांकियों में मुख्य आकर्षण श्री महाकुम्भ की झांकी के दर्शन कर शहरवासी भावविभोर हो गए* । इस यात्रा में कई सामाजिक सन्देश देते हुए अलग अलग झांकिया भी सजी हुई थी ।
*नववर्ष समारोह समिति के राष्ट्रीय सचिव व आलोक संस्थान के निदेशक डॉ प्रदीप कुमावत ने बताया कि विक्रमादित्य पवित्र ज्योति कलश संस्कृति चेतना यात्रा अमरनाथ धाम मंदिर से प्रारम्भ हुई । यह यात्रा अमरनाथ धाम मंदिर से प्रारम्भ होकर गणेश नगर,जावद, धोइंदा, जल चक्की चौराहा, बस स्टैंड, चौपाटी, जेके मोड़, मुखर्जी चौराहा होते शाम करीब 7.30 बजे द्वारकाधीश मंदिर के गोवर्धन चौक पहुंची* । जहां एक दिया संस्कृति के नाम कार्यक्रम आयोजित किया गया । इस बार का नवसंवत्सर श्री महाकुम्भ को समर्पित है
विक्रमादित्य पवित्र ज्योति कलश संस्कृति चेतना यात्रा में *श्री महाकुम्भ के स्वरूप की झांकी के दर्शन भक्ति व आस्था के केंद्र बने । हम अपनी संस्कृति के अनुसार नवसंवत्सर मनाये । यह हमारी विरासत व धरोहर है जिसे रीति रिवाज के साथ मनाकर गर्व प्रकट करते है ।आलोक संस्थान भारतीय संस्कृति के प्रतीक नव संवत्सर का आयोजन पिछले 50 सालों से करता चला आ रहा है और आज सम्पूर्ण देश में इस कार्यक्रम से एक नई अलख व चेतना जगी है
शाम 7.30 बजे यह यात्रा द्वारकाधीश मंदिर के गोवर्धन चौक पर पहुंची । यहाँ महाआरती का कार्यक्रम आयोजित हुआ । कार्यक्रम का शुभारम्भ तृतीय पीठाधीश्वर वागीश बावा
जयेश कुमार जी क़ानूनी सलाहकार, राजकुमार जी अधिकारी, भगवती लाल जी मंदिर अधिकारी मंदिर मंडल, राजकुमार जी मुख्य निष्पादन अधिकारी मंदिर मंडल, गिरिजा शंकर जी पालीवाल व्यवस्थापक गायत्री शक्ति पीठ राजसमंद, प्रशासक मनोज कुमावत, प्राचार्य ललित गोस्वामी व सहायक प्रशासक ध्रुव कुमावत ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया । संस्कृति को समर्पित इस समारोह में दीप प्रवाह, झील पूजन व गंगा आरती का कार्यक्रम आयोजित हुआ ।सभी लोगों ने एक दिया संस्कृति के नाम प्रज्ज्वलित किया और भक्ति भाव से माँ गंगा आरती में भाग लेकर पवित्र नदियों के प्रति अपनी श्रद्धा समर्पित की ।