मनरेगा बचाने की आवाज: आमेट में मजदूर संघ ने राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन
आमेट। उपखंड मुख्यालय पर राजस्थान संगठित एवं निर्माण मजदूर संघ इंटक ने मनरेगा योजना को यथावत रखने की मांग को लेकर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। यह ज्ञापन उपखंड अधिकारी गोविंद सिंह रतनु को दिया गया। संघ ने प्रस्तावित वी.बी.जी. रामजी योजना को निरस्त करने की भी मांग की है।
संघ अध्यक्ष कैलाश चंद्र शर्मा के नेतृत्व में सौंपे गए ज्ञापन में बताया गया कि मनरेगा ग्रामीण गरीब परिवारों की आजीविका का सबसे बड़ा सहारा है। इस योजना के तहत मजदूरों को वर्ष में 100 दिन का रोजगार देने का प्रावधान है, लेकिन वर्तमान में केवल 60 से 70 दिन का ही काम मिल पा रहा है, वह भी समय पर भुगतान के बिना। इससे मजदूर वर्ग आर्थिक संकट से जूझ रहा है।
ज्ञापन में यह भी चिंता जताई गई कि यदि मनरेगा में राज्यों पर 40 प्रतिशत वित्तीय भार डाला गया तो रोजगार के अवसर और सीमित हो जाएंगे। ऐसे में प्रस्तावित वी.बी.जी. रामजी योजना मजदूरों के हित में नहीं है और इसे तुरंत निरस्त किया जाना चाहिए।
संघ ने बताया कि मनरेगा ग्राम सभा की भागीदारी से जल संरक्षण, कच्ची सड़क निर्माण, वृक्षारोपण जैसे जनहितकारी कार्य करती है। यह योजना महात्मा गांधी की ग्राम स्वराज की अवधारणा को जमीन पर उतारती है। कोविड-19 महामारी के कठिन समय में भी मनरेगा ने ग्रामीणों और प्रवासी श्रमिकों को आर्थिक संबल प्रदान किया था।
मजदूर संघ ने जनहित को ध्यान में रखते हुए वी.बी.जी. रामजी योजना को निरस्त कर मनरेगा योजना को पहले की तरह जारी रखने की पुरजोर मांग की। इस अवसर पर कैलाश चंद्र शर्मा, लक्ष्मण रेगर, राधा कंवर, अर्जुन, मांगीलाल, मधुबाला, रतनी, संतोष, लक्ष्मी, अर्जुन दास, भगवतीलाल, शांतिलाल, मोहनी, रेखा, भंवरी, प्रेमी, माया सहित बड़ी संख्या में महिलाएं और मजदूर मौजूद रहे।
