दर-दर भटके पर अधूरी रही आस, शिविर में मिला पट्टा तो छलक उठे आँसू

By :  vijay
Update: 2025-07-04 11:58 GMT
दर-दर भटके पर अधूरी रही आस, शिविर में मिला पट्टा तो छलक उठे आँसू
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राजसमंद। राज्य सरकार ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय संबल पखवाड़ा-2025’ के माध्यम से ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान अब उनके द्वार पर ही कर रही है। इस जनकल्याणकारी अभियान ने अब तक हजारों जरूरतमंद परिवारों तक राहत पहुंचाकर उनके जीवन में नई उम्मीद जगाई है।

शिविरों में आमजन की समस्याएं न केवल तुरंत सुनी जा रही हैं, बल्कि अधिकांश मामलों में मौके पर ही समाधान भी सुनिश्चित किया जा रहा है। यह प्रयास राज्य सरकार की संवेदनशीलता, त्वरित प्रतिक्रिया और जनसेवा के प्रति गहरी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। सरकार की यह अनूठी पहल ग्रामीण जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और अंतिम व्यक्ति तक राहत पहुंचाने की दिशा में एक सशक्त कदम बन गई है।

जिले के आमेट पंचायत समिति अंतर्गत ग्राम पंचायत साकरड़ा में आयोजित पंडित दीनदयाल उपाध्याय अन्त्योदय संबल पखवाड़ा में एक ऐसा पल देखने को मिला जिसने एक साधारण ग्रामीण की वर्षों पुरानी पीड़ा को खुशी में बदल दिया। विकास अधिकारी गुलाब सिंह गुर्जर ने बताया कि प्रभुलाल गुर्जर, निवासी सबलो का खेडा, वर्षों से अपने आवासीय मकान के पट्टे का इंतजार कर रहे थे। उन्होंने कई बार आवेदन किया, दर-दर भटके, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई।

जब उन्हें ग्राम पंचायत से शिविर में बुलाया गया तो उनके मन में एक हल्की सी उम्मीद थी, परंतु जैसे ही उन्हें स्वामित्व योजना के अंतर्गत उनके खुद के आवासीय मकान का पट्टा सौंपा गया, उनकी आंखें खुशी से भर आईं। वर्षों का संघर्ष, कई अधूरे सपने और अनगिनत कोशिशें आज इस एक कागज के रूप में साकार हो गईं। प्रभुलाल भावुक होकर बोले कि आज मेरे जीवन का सबसे बड़ा सपना पूरा हो गया है। जब पट्टा मेरे हाथों में आया, तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। यह सिर्फ एक कागज नहीं, मेरे जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है।

विकास अधिकारी ने बताया कि प्रभुलाल ने हृदय से राज्य सरकार और प्रशासन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार ने जो संवेदनशीलता दिखाई है, उससे हम जैसे गरीब और वंचित परिवारों को भी मुख्यधारा से जुड़ने का अवसर मिला है। अब यह जमीन मेरी है, मेरा घर मेरा अपना है, यह कह पाने की खुशी शब्दों में बयां नहीं की जा सकती।

प्रभु लाल की कहानी इस बात का प्रमाण है कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे ये शिविर सच में अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक राहत पहुंचाने का सशक्त माध्यम बन रहे हैं।

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