धर्म के बदले में सांसारिक सुख मांगना नहीं चाहिए : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर
उदयपुर BHN श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा द्वारा चातुर्मास काल के दौरान महाभारत पर प्रतिदिन प्रवचन दिए जा रहे है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि मंगलवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई।
नाहर ने बताया कि मंगलवार को आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने अंतिम देशना का विवरण करते हुए कहां कि उदाहरण दो प्रकार के होते है एक तो विधान के पालन करने वालों का और दूसरा विधान के खण्डन करने वालो का। मगरी हमेशा विधान के पालन करन वालों का उदाहरण लेना चाहिए। उदाहरण से विधान का खण्डन नहीं हो सकता मगर विधान के अनुरूप आचरण हमारा होना चाहिए। सांसारिक सुख पाने के लिए धर्म नहीं करना चाहिए यह महावीर स्वामी प्रभु द्वारा दर्शित विधान है। अगर इससे विपरीत उदाहरण मिले तो भी उसकी अनदेखी करके प्रभु के विधान को ही स्वीकार करना चाहिए। सच्चा पुरूषार्थ सिर्फ मोक्ष पुरुषार्थ ही है। मोक्ष का साधन बने तो धर्म भी पुरुषार्थ है वर्ना नहीं। नाहर ने बताया कि 29 से 31 अक्टूबर तक महावीर स्वामी की अंतिम देशना के विषय पर आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर द्वारा सुबह 9.30 से 10.30 बजे तक विशेष प्रवचन श्रृंखला जारी है।
चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।