नेशनल फॉक फेस्टिवल के तहत ओम कोठारी संस्थान में विलुप्त होती लोक कलाओं की प्रस्तुतियां

Update: 2024-11-28 13:09 GMT


उदयपुर/कोटा, 28 नवंबर। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र उदयपुर के तत्वाधान में नेहरू युवा केंद्र द्वारा नेशनल फॉक फेस्टिवल के अंतर्गत विलुप्त होती कलाओं के संरक्षण हेतु संभाग स्तरीय कार्यक्रम ओम कोठारी ग्रुप ऑफ़ एज्युकेशनल इंस्टिट्यूट में गुरुवार को आयोजित किया गया। विलुप्त होती लोक कलाओं के संरक्षण व युवाओं में इसके प्रति चेतना जगाने हेतु इस कार्यक्रम को आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कोटा दक्षिण से विधायक श्रीमान संदीप शर्मा जी रहे। कार्यक्रम के दौरान संस्थान निदेशक डॉ अमित सिंह राठौड़, नेहरू युवा केंद्र से श्री सचिन, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र उदयपुर से सिद्धांत भटनागर, कॉलेज एजुकेशन के असिस्टेंट डायरेक्टर डॉ गीताराम जी, असिस्टेंट प्रोफेसर व कोटा कॉलेज एजुकेशन एनएसएस कोऑर्डिनेटर श्रीमती रीना कुमारी, कोशिश एनजीओ से श्री पंकज शर्मा, समाजसेवी श्री यज्ञदत्त हाडा, कार्यक्रम संचालक प्रतीक गुप्ता, व्याख्यातागण एवं विद्यार्थी गण मौजूद रहे।



 


कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि महोदय के महाविद्यालय परिवार की ओर से स्वागत के साथ हुई। इसके पश्चात हमारी विलुप्त होती कलाओं की उत्कृष्ट झांकी उपस्थित जनों के समक्ष प्रस्तुत की गई। इस कड़ी में सर्वप्रथम मांगलिक अवसरों पर किए जाने वाले राजस्थान के प्रसिद्ध लोक नृत्य कच्छी घोड़ी की प्रस्तुति दी गई। बांरा से आए श्री गणेश कुमार सोनी व दल ने शानदार कच्ची घोड़ी नृत्य द्वारा समा बांध दिया। इसके पश्चात कंजर जाति के लोक नृत्य चकरी नृत्य की भव्य प्रस्तुति ने सभी को मंत्र मुक्त कर दिया। अस्सी कली का घाघरा पहने हुए चकरी नृत्य करती हुई महिलाओं ने सभी को रोमांचित कर दिया। इसके पश्चात होली के अवसर पर बांरा की सहरिया जनजाति द्वारा किया जाने वाला सहरिया स्वांग नृत्य सभी के सामने प्रस्तुत किया गया। लोक कलाकारों ने शरीर को पेंट द्वारा व पक्षियों के पंख द्वारा सजा रखा था। इस भव्य प्रस्तुति ने सबके मन को मोह लिया। ओम कोठारी सभागार में देर तक विद्यार्थियों की इन प्रस्तुतियों के लिए तालियां बजती रहीं । सभी उपस्थित लोगों ने लोक कलाकारों के सम्मान में जोरदार करतल ध्वनि की।

मुख्य अतिथि ने इस अवसर पर युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि युवाओं को इन कलाओं के बारे में जानना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यह लोक कलाएं भारतीय संस्कृति की आत्मा है। हमारी संस्कृति विश्व में सर्वाेच्च स्थान रखती है और युवाओं को भी इसके संरक्षण हेतु आगे आना चाहिए। संस्थान निदेशक व अन्य उपस्थित अतिथियों ने भी सभी को आशीर्वचन कहे व लोक कलाकारों को धन्यवाद ज्ञापित किया। अंत में सिद्धांत भटनागर द्वारा सभी उपस्थित जनों को धन्यवाद दिया गया।

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