भूस्थानिक सूचनायें पोषणीय विकास का प्रमुख आधार- डॉ. मिश्रा

By :  vijay
Update: 2024-12-15 17:48 GMT

 उदयपुर,  । भारत सरकार के अतिरिक्त महासर्वेक्षक डॉ. यू. एन. मिश्रा ने कहा कि भूस्थानिक सूचनाएं पोषणीय विकास को मूलभूत आधार प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की भूस्थानिक नीति 2023 ने सामरिक मानचित्रों एवं संबंधित सूचनाओं के अतिरिक्त अन्य सभी सूचनाओं को आम जन व आम संस्थाओं द्वारा उपयोग के लिए खोल दी हैं। इससे विकास का मार्ग मजबूत हुआ है। डॉ. मिश्रा मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग द्वारा आयोजित 21 दिवसीय भूस्थानिक प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रशिक्षणार्थियों को सम्बोधित कर रहे थे।

मुख्य वन संरक्षक उदयपुर जोन श्री सुनील चिदरी ने कहा कि वन अग्नि अलर्ट की तरह ही वन अतिक्रमण एवं वन खनन अलर्ट सूचना तंत्र को विकसित करने की जरूरत हैं। उन्होने वन संसाधनों के विकास एवं संरक्षण में भूस्थानिक प्रौद्योगिकी के महत्व को समझाया। भूगोल विभाग की अध्यक्ष एवं प्रशिक्षण की समन्वयक प्रो. सीमा जालान ने प्रशिक्षण शिविर के दौरान हुए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया गया। समारोह की अध्यक्षता सुविवि के कुलसचिव डॉ. वी.सी. गर्ग ने की।

गौरतलब है कि राष्ट्रीय दूरसंवेदन केन्द्र (इसरो) के निदेशक डॉ. प्रकाश चौहान द्वारा उद्घाटित 21 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में 6 राज्यों से 25 प्रशिक्षणार्थी शामिल हुए। प्रो. जालान ने बताया कि प्रथम चरण में ईसरी (इण्डिया) दूरसंवेदन प्रादेशिक केन्द्र दिल्ली, मध्यप्रदेश राज्य के इलेक्ट्रॉनिक केन्द्र के वैज्ञानिकों द्वारा दूर संवेदन प्रौद्योगिकी के माध्यम से आंकड़े संग्रहण का प्रशिक्षण दिया गया।

दूसरे चरण में लीडार जैसी विकसित प्रौद्योगिकी को नगर नियोजन, जलाशयों व वन संसाधनों के प्रबन्ध में उपयोग पर दूरसंवेदन प्रादेशिक केन्द्र जोधपुर, दिल्ली, देहरादून व भोपाल से आये विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। तीसरे चरण में इसरो, संयुक्त राष्ट्र व राजकीय विभागों से जुडे वैज्ञानिकों द्वारा संबंधित संस्थाओं द्वारा संचालित आपदा प्रबंध एवं अन्य कार्यक्रमों से प्रशिक्षणार्थियों को अवगत कराया गया। अंतिम तीन दिवसों के दौरान प्रशिक्षणार्थियों द्वारा ज्वलंत समस्याओं से जुडे विभिन्न विषयों पर प्रोजेक्टस तैयार किये गये।

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