सत्य की राह दिखाना ही गुरूधर्म है : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर
उदयपुर, । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोवन की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टाधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा का चातुर्मास की धूम जारी है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि रविवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। वहीं सभी श्रावक-श्राविकाओं ने जैन महाभारत ग्रंथ की पूजा-अर्चना की। नाहर ने बताया कि रविवार सुबह 9 से 12 बजे तक ‘‘अरिहंत मेरे आदर्श, मेरी आस्था, मेरे आधार’’ विषय पर ह्रदय स्पर्श प्रवचन हुए। साथ ही अरिहंत वंदनावली का संगीतमय अनुष्ठान हुआ।
महासभा अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने जैन महाभारत पर आधारित प्रवचन में बताया कि हमारे चौबीस तीर्थंकरों को इसलिए हम भगवान मानते है इन्हीं में भगवान के गुण थे। जिनमें 12 गुण हो और 18 दोष का सर्वथा अभाव हो उनको भगवान कह सकते है। आचार्य श्री ने इस बात का विस्तार से विवेचन किया। आज का इंसान अभाव में जी रहा हे इसलिए दुखी हो रहा हैं। उसके पास जो है उसका आनंद नहीं ले रहा है, जीवन में शांति चाहिए तो किसी से कंपटीशन मत करो, किसी से कंपैरिजन मत करो और कैलकुलेशन मत करों। सुख ऐसा होना चाहिए जितना उसको भोगों बडऩा चाहिए। सुख शाश्वत होना चाहिए नश्वर नही,आज के इंसान का प्रयास सुख पाने का हैं, पर परिणाम में दु:ख प्राप्त होता है, क्योंकि उसकी सुख पाने का रास्ता ही गलत है। सच्चा सुख प्रभु के चरणो में हैं। भविष्य और भूतकाल में मत जियो वर्तमान में जियो की प्रेरणा दी।
चातुर्मास संयोजक अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि चातुर्मास के दौरान प्रतिदिन सुबह 9.30 बजे आचार्य हितवर्धन सुरश्वर द्वारा जैन महाभारत पर रोचक प्रवचन होंगे वहीं प्रत्येक रविवार को सुबह 9.30 से 11 बजे तक अलग-अलग करन्ट विषयों पर आचार्य के प्रवचन हो रहे है।
इस अवसर पर तेजसिंह बोल्या, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा,राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या आदि मौजूद रहे।