आईसीडीएस में प्री-स्कूल शिक्षा को सशक्त बनाने की दिशा में अहम पहल

Update: 2025-12-06 13:33 GMT

उदयपुर,। महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक  वासुदेव मालावत (आईएएस) ने शनिवार को उदयपुर प्रवास के दौरान आईसीडीएस के अंतर्गत संचालित प्री-स्कूल शिक्षा को अधिक प्रभावी, गुणवत्तापूर्ण एवं बाल-केंद्रित बनाने के उद्देश्य से राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (आरएससीईआरटी) की निदेशक श्वेता फगेड़िया के साथ बैठक में भाग लिया। बैठक में नवीन शिक्षा नीति (एनईपी 2020) के प्रावधानों के अनुरूप 3 से 6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के लिए पाठ्यक्रम को अधिक रुचिकर और प्रभावशाली बनाने पर गहन मंथन हुआ।

मालावत ने बताया कि आईसीडीएस में प्री-स्कूल शिक्षा के तहत् संचालित किलकारी-तरंग एवं उमंग वर्कबुक को एनईपी 2020 को आधार बनाकर पुनः विकसित किया जाएगा, ताकि बच्चों को खेल-खेल में सीखने का अवसर मिले और उनकी स्वाभाविक जिज्ञासा को प्रोत्साहन मिल सके। उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी केंद्रों पर आने वाले बच्चों की आयु 3 से 6 वर्ष होती है, ऐसे में उनके सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए पाठ्य सामग्री को और अधिक गतिविधि आधारित बनाया जाएगा।

बैठक में आरएससीईआरटी द्वारा गठित पाठ्यक्रम टीम के माध्यम से प्रशिक्षकों को दक्ष बनाने तथा फील्ड स्तर पर प्रशिक्षण प्रदान करने पर भी चर्चा की गई, जिससे आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की क्षमता में निरंतर वृद्धि हो सके। साथ ही विकास के पाँच आयाम कृ शारीरिक, बौद्धिक, भाषा, सामाजिक एवं भावनात्मक कृ को आधार बनाकर बच्चों के लिए तैयार की गई शिक्षण सामग्री को प्रभावी रूप से आईसीडीएस में लागू करने के निर्देश दिए गए।

इस अवसर पर  मालावत ने आरएससीईआरटी में संचालित मॉडल आंगनवाड़ी केंद्र का अवलोकन किया और वहां उपलब्ध नवाचारपूर्ण शिक्षण सामग्री की सराहना करते हुए उसे राज्यभर के आंगनवाड़ी केंद्रों में चरणबद्ध ढंग से लागू करने की बात कही। उन्होंने कहा कि बच्चों में रचनात्मकता विकसित करने, खेल के माध्यम से शिक्षा देने और सीखने की प्रक्रिया को आनंददायक बनाने पर विशेष जोर दिया जाएगा।

बैठक के दौरान आरएससीईआरटी निदेशक श्वेता फगेड़िया ने नवीन शिक्षा नीति के तहत विकसित किए जा रहे पाठ्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी तथा परिषद द्वारा किए जा रहे विभिन्न नवाचारों से भी अवगत कराया। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा को मजबूत बनाने के लिए वैज्ञानिक सोच, अनुभवात्मक सीख और स्थानीय संदर्भों को प्राथमिकता दी जा रही है।

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