सिद्धपद की शरण मिलने पर आत्मा अमर बन जाती है : आचार्य पद्मभूषणरत्न सुरिश्वर महाराज

उदयपुर। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में शुक्रवार को तपस्वीरत्न आचार्य भगवंत पद्मभूषणरत्न सुरिश्वर महाराज, साध्वी भगवंत कीर्तिरेखा महाराज आदि ठाणा की निश्रा में नो दिवसीय नवपद आयम्बिल ओली की शाश्वती आराधना के दूसरे दिन विविध आयोजन हुए।
महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि शनिवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। वहीं नो दिवसीय नवपद की आयंबिल ओली में 125 तपस्वी नवपद की आयंबिल ओली का सामूहिक तप कर रहे है।
नाहर ने बताया कि गुरुवार को आयोजित धर्मसभा में आचार्य आचार्य भगवंत पद्मभूषणरत्न सुरिश्वर महाराज ने श्री नवपद की आराधना के दूसरे दिन सिद्धपद के महत्त्व को बताते हुए कहा कि सिद्धपद की आराधना से जीवन में सरलता का उदय होता है, जीवन सरलता के साथ साथ सरसता से भी भर जाती हैं, काया-क्लेश मिट जाते हैं, एवं मधुरता से जीवन महकने लगता है, अनुपम भक्तिभाव से भक्ति गीत सहज मुखर जाती है। सिद्ध परमात्मा का स्वरूप बताते हुए अनंत ज्ञानियों ने कहा है कि जिनके समस्त दु:ख सम हो गये हैं, जिन्हें जन्म, जरा, मृत्यु और आठ कर्म का कोई भय नहीं है, बोधन नहीं हैं, जो प्रतिक्षण अनंत आनंद, परम सुख का अनुभव कर रहे हैं. जो अविनाशी स्वरूप है वे सिद्ध भगवान है। चार घाती, चार अघाली इन आठों कर्मो का सय करने पर सिद्ध बनते हैं। आचार्य ने कहंा कि सिद्ध भगवंत अनंत गुण के स्वामी है। सूक्ष्म निगोद के बन्धन से हमारी आत्मा बाहरी निकली इन में उपकार सिद्ध भगवत का है। भगवान वहीं होते जो अरिहंत होते या फिर सिद्ध भगवंत होते है। हमारे कलेजे में इस बाण को जमा देती है। 6 अप्रेल को आचार्य पद तथा दोपहर 2 बजे उदयपुर संस्कार वाटिका पाठशाला के बालकों की क्वीज शिविर होगी। रात्रि में प्रतिक्रमण पश्चात मोहित भाई द्वारा संगीतमय प्रभु भक्ति का आयोजन होगा।
इस अवसर पर कुलदीप नाहर, सतीश कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर पामेचा, राजेश जावरिया, चन्द्र सिंह बोल्या, दिनेश भण्डारी, अशोक जैन, दिनेश बापना, कुलदीप मेहता, नरेन्द्र शाह, चिमनलाल गांधी, गोवर्धन सिंह बोल्या आदि मौजूद रहे।