आचार्य भगवंत जैन संघ के राजा होते है : पद्मभूषणरत्न सुरिश्वर महाराज

Update: 2025-04-06 15:24 GMT
आचार्य भगवंत जैन संघ के राजा होते है : पद्मभूषणरत्न सुरिश्वर महाराज
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उदयपुर  । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में तपस्वीरत्न आचार्य भगवंत पद्मभूषणरत्न सुरिश्वर महाराज, साध्वी भगवंत कीर्तिरेखा महाराज आदि ठाणा की निश्रा में नो दिवसीय नवपद आयम्बिल ओली की शाश्वती आराधना धूम जारी है।

महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि रविवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई।

नाहर ने बताया कि रविवार को आयोजित धर्मसभा में आचार्य भगवंत पद्म भूषण रत्न सुरिश्वर महाराज ने श्री नवपद की आराधना के तीसरे दिन कहा कि मानो कि जैन शासन एक फाउण्डेशन है तो अरिहंत भगवंत उनके फाउंडर पर्सन है। साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविकाएं इनके मेम्बर्स ओथोरिटी है। आचार्य ने कहां कि जिन शासन की अलौकिकता यह है कि इनके सिद्धांत में कभी भी परिवर्तन नहीं हो सकता, सिद्धांतों में परिवर्तन की सत्ता यहां आचार्यों को भी नहीं दी गई है। जिन शासन और जैन शास्त्र समानार्थ शब्द है। जबकि जैन संघ का अर्थ अंतर्गत है। जैन शास्त्र की माने तो वह है जैन संघ जैन संघ के राजा आर्चाय है जैसे जैन शासन के राजा अरिहंत भगवंत है। इस अवसर पर कुलदीप नाहर, सतीश कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर पामेचा, राजेश जावरिया, चन्द्र सिंह बोल्या, दिनेश भण्डारी, अशोक जैन, दिनेश बापना, कुलदीप मेहता, नरेन्द्र शाह, चिमनलाल गांधी, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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