राज्य सभा में आपदा प्रबंधन, संषोधन विधेयक 2024 पर चर्चा के दौरान रखी अपनी बात

By :  vijay
Update: 2025-03-26 14:58 GMT
राज्य सभा में आपदा प्रबंधन, संषोधन विधेयक 2024 पर चर्चा के दौरान रखी अपनी बात
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उदयपुर,। राज्यसभा सांसद चुन्नीलाल गरासिया ने राज्य सभा में आपदा प्रबधन संशोधन विधेयक 2024 के पक्ष में बोलते हुए कहा कि देश में कोविड़ आपदा में मोदी सरकार ने सराहनीय कार्य किया।

सासंद प्रवक्ता पारस जैन ने बताया कि सासंद गरासिया ने कहा कि प्रधानमंत्री   नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और गृहमंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में एक क्रांन्तिकारी बदलाव देखा है। 2016 में राष्ट्रीय ‘‘आपदा प्रबंधन योजना’’ का शुभारंभ ‘‘ आपदा मित्र योजना’’ और राष्ट्रीय भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली जैसे कार्यक्रमों ने भारत को आपदा प्रबंधन में नई ऊँचाईयों पर पहुँचाया है। इन प्रयासो का उद्देश्य हर नागरिक को सुरक्षित और आपदाओं से मुक्त जीवन देना है।

मोदी सरकार ने राजस्थान नदी योजना के तहत राजस्थान, मध्यप्रदेश में पार्वती काली सिंध परियोजना का शुभारंभ किया, जिसमें काफी सिचाई क्षेत्र में फायदा मिलने वाला है। राजस्थान में रेगिस्तान को आपदा मुक्त करने, सुखे क्षेत्र में मानसुन की कमी को दूर करने, भौगोलिक क्षेत्रों की रक्षा करने, पहाड़ों को काटने से रोकने, जंगलों में आग लगने से बचाने इत्यादि उपाय प्रबंधन में किए हैं।

  गरासिया ने कहा कि यह संशोधन बिल राष्ट्रीय और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों को स्वतंत्र रूप से आपदा योजनाएं तैयार करने का अधिकार देता है। हाल के वायनाड़, केरल में भूस्खलन और देशभर मे आई बाढ़ की ’घटनाओं ने हमें दिखाया कि प्रभावी आपदा प्रबधन कितना जरूरी है। यह विधेयक आपदाओं का प्रभाव कम करने और लोगो की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। राज्य की राजधानियों और बड़े शहरों में शहरी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का गठन एक ऐतिहासिक कदम है। स्मार्ट सिटी पहल के साथ आपदा प्रबंधन को जोड़ना यह दर्शाता है कि यह सरकार केवल प्रौद्योगिकी में प्रगति ही नही बल्कि नागरिकों की सुरक्षा को भी प्राथमिकता देती है। यह कदम शहरी क्षेत्रों में बेहतर तैयारी और स्थानीय सहयोग को बढ़ावा देगा।

राज्यसभा सांसद   गरासिया ने कहा कि यह विधेयक विभिन्न आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों की भूमिकाओं को स्पष्ट करता है और उनके बीच समन्वय बढ़ाता है। साथ ही, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को जलवायु परिवर्तन जैसी आपदाओं का आकलन करने का अधिकार दिया गया है। यह बिल केन्द्र और राज्यों को आपस में मिलकर काम करने के लिए प्रेरित करता है। विधेयक के तहत राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति को वैधानिक मान्यता दी गई है। इससे आपदा प्रबंधन की संरचना को अधिक संगठित और जवाबदेह बनाया जाएगा। यह कदम राज्य की क्षमता को बढाने और विभिन्न हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने में सहायक होगा। आपदा प्रबंधन कर्मियों के काम में बाधा डालने पर दंडात्मक प्रावधान इस विधेयक का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कदम यह सुनिश्चित करता है कि आपदा प्रबंधन प्रक्रिया में कोई बाधा न आए और सरकार आपातकालीन स्थितियों में तेजी से और प्रभावी ढंग से काम कर सके । यह विधेयक 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों को लागू करते हुए विकास योजनाओं और आपदा प्रबंधन को एक साथ लाने का प्रयास करता है। इससे ने केवल आपदाओं का प्रभाव कम होगा बल्कि देश को एक आपदादृरोधी भविष्य की ओर ले जाया जाएगा। राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर आपदा डाटाबेस का निर्माण इस विधेयक का एक और दूरदर्शी पहलू है । यह डाटाबेस तकनीक का उपयोग करते हुए बेहतर तैयारी और प्रतिक्रिया रणनीतियों को सक्षम बनाएगा। इसके साथ ही, सरकार द्वारा क्षेत्रीय भूस्खलन चेतावनी प्रणाली और उन्नत प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों पहले से ही इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। यह विधेयक आपदा प्रबंधन को स्थानीय स्तर पर अधिक प्रभावी बनाने और विकास प्रक्रिया मंे एकीकृत करने का प्रयास है। इसके माध्यम से, शहरी आपदा प्रबंधक प्राधिकरणों का गठन और राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति को वैधानिक मान्यता जैसे प्रावधान आपदा प्रबंधन को सशक्त बनाएंगे। 2014 के बाद से मोदी सरकार ने आपदा प्रबंधन ढांचे को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाय हैं। राष्ट्रीय चक्रवात जोखित शमन परियोजना, राष्ट्रीय आपदा शमन कोमा, और ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड प्रोजेक्ट जैसे कार्यक्रमों ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

श्री गरासिया ने कहा कि यह विधेयक प्रधानमंत्री   नरेन्द्र मोदी जी की आपदादृरोधी और सुरक्षित भारत की दृष्टि को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह भारत को न केवल एक विकसित बल्कि एक सुरक्षित और सशक्त राष्ट्र बनाने में मदद करेगा।

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