उदयपुर । शहर के आरके पुरम में चल रही भागवत कथा अमृत महोत्सव में तीसरे दिन भगवान नरसिंह ने हिरण्यकश्यप का वध करके भक्त प्रहलाद की रक्षा की। सभी भक्तों ने पुष्प वर्षा एवं जयकारों से पूरा कथा स्थल गुंजायमान कर दिया।
व्यासपीठ से कथावाचक पुष्कर दास महाराज द्वारा संगीतमय श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन कहा करोड़ों जन्मों का पुण्य उदय होता है तभी हमें सत्संग में बैठने को मिलता है। जिन्होंने भक्ति मार्ग को अपना वही परम भागवत हुए, पाप भजन नहीं करने देता, संसार में मन ज्यादा फसने के कारण भजन नहीं कर पाते है। संत लोगों का मन संसार से मुक्त था इसलिए वो भजन कर पाए, भागवत शब्द की व्याख्या करते हुए कहा भ का मतलब भक्ति, ग का ज्ञान, व का वैराग्य, और त का त्याग। मन संसार में फंस गया तो आसक्ति कहलाती और मन भगवान में फंस गया तो भक्ति कहलाती। भागवत में कलयुग का स्थान चार जगह बताया है स्वर्ण (सोना) में, जुआ में, शराब में, बाजारू स्त्री में ओर अनीति के धन में । शास्त्रों में सप्त सरोवर, संगीत के 7 स्वर, इसलिए भागवत की कथा 7 दिवसीय रखी जाती है। राजा ने अनीति के धन का मुकुट पहना इसलिए उसकी बुद्धि बिगड़ी और ऋषि के गले में मरा हुआ सर्प डाला और ऋषि के बेटे को जब पता चला तो उसने राजा को श्राप दिया। कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा भक्त वही जो परमात्मा से जुड़ा रहे, कथा सुनने से मन का मेल साफ होता है। भागवत की कथा में इतने ऋषि मुनि महात्मा थे परंतु शुकदेव जी सिर्फ राजा परीक्षित के लिए आए। क्योंकि कल्याण सिर्फ परीक्षित का करना था, महाराज ने कहा भक्ति करने की कोई उम्र नहीं होती। बालक, जवान, वृद्ध कोई भी भगवान से जुड़ सकता है, परन्तु वृद्धावस्था में घर वाले तिरस्कार करते है तभी भगवान की शरण में व्यक्ति जाता है। भागवत में बालक ध्रुव, प्रहलाद इन्होंने बचपन से हरि के नाम का सुमिरन किया।
कथा के तीसरे दिन कहा हिरण्यकश्यप ने अपने ही बेटे प्रहलाद को बहुत दुख दिया खूब सताया फिर भी प्रहलाद ने प्रभु का सुमिरन नहीं छोड़ा। महाराज ने इस प्रसंग पर कहा आज के समय में अपने लोग की अपनो के दुश्मन बन बैठे हैं, प्रहलाद को भुआ होलिका ने अग्नि में जलाने की कोशिश करी परंतु जिसका रखवाला है राम उसका कौन बिगाड़े काम। अंत में भगवान नरसिंह रूप धारण करके हिरण्यकश्यप का वध करते है और भक्त प्रहलाद की रक्षा करते है।
अंत में वि_ल वैष्णव ने बताया कि इस उपलक्ष्य में भगवान नरसिंह, प्रहलाद, और हिरण्यकश्यप की सुंदर झांकी के दर्शन कर सभी भक्तों ने पुष्प वर्षा की ओर भगवान नरसिंह के जयकारे भी लगाए। शनिवार को कथा में चौथे दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा।