सांसद चुन्नीलाल गरासिया ने राज्यसभा में राजस्थान में रिफाइनरी का मुद्दा उठाया
उदयपुर । सोमवार को राज्यसभा सांसद चुन्नीलाल गरासिया ने राज्यसभा में पूरक प्रश्न के माध्यम से राजस्थान में रिफाइनरी का मुद्दा उठाया।
चुन्नीलाल गरासिया ने राज्यसभा में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री से अतारांकित प्रश्न संख्या 1737 के पूरक प्रश्न के माध्यम से भारत सरकार से पूछा कि राजस्थान में पेट्रोलियम मंत्रालय के माध्यम से एक रिफाइनरी लगाना सुनिश्चित किया गया था और इसे लगाने का समय भी निकल गया, चूँकि रिफाइनरी समय-सीमा निकलने के बाद भी प्रारंभ नहीं हुई है, तो यह कब तक प्रारंभ होगी, क्योंकि उसमें राजस्थान स्टेट का रेवेन्यू शेयर है और आप अपनी तरफ से क्या स्टेप लेंगे, जिससे वह जल्दी-जल्दी चालू हो सके।
प्रत्युत्तर में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि माननीय सदस्य जिस राजस्थान स्थित रिफाइनरी का उल्लेख कर रहे हैं, उसके विवरण से वे भली-भाँति परिचित हैं-जैसा कि मैं स्वयं हूँ। मेरा संकेत बाड़मेर रिफाइनरी की ओर है। तथापि, चूँकि उन्होंने यह प्रश्न सदन में उठाया है, इससे मुझे स्थिति स्पष्ट करने का अवसर प्राप्त हुआ है। यह एक दीर्घकाल से लंबित परियोजना है। इस परियोजना की शुरुआत वर्ष 2014 से पूर्व ही हो चुकी थी, अर्थात् माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में वर्तमान सरकार के कार्यभार संभालने से पहले। इसके बावजूद, यह अत्यंत संतोष का विषय है कि यह एक अत्यंत विशाल रिफाइनरी परियोजना है। यद्यपि मुझे इसकी क्षमता तत्काल स्मरण नहीं है, तथापि यह भारत की सबसे बड़ी रिफाइनरियों में से एक होने जा रही है।
यह एक एकीकृत रिफाइनरी परियोजना है, जिसमें केवल पेट्रोलियम एवं डीज़ल का शोधन ही नहीं होगा, बल्कि एक एकीकृत ‘पेट-कोक’ परियोजना भी सम्मिलित है। वर्तमान में हम पुनः निर्णायक चरण पर पहुँचे हैं। आज की तिथि 10 दिसंबर है। राज्य सरकार के साथ इस विषय में चर्चा चल रही है कि रिफाइनरी को व्यावसायिक रूप से कब प्रारंभ किया जा सकेगा। प्रथम कच्चा तेल (क्रूड) वहाँ पहुँच चुका है और अनुमान है कि लगभग 30 दिनों के भीतर या उससे कुछ कम अथवा अधिक समय में परियोजना को चालू किया जा सकेगा।
यह उल्लेख करना आवश्यक है कि अधिकांश निर्माण एवं तकनीकी कार्य पूर्ण किया जा चुका है। तथापि, मैं उन व्यक्तियों में से हूँ जो तब तक उद्घोषणा नहीं करते जब तक परियोजना पूर्णतः तैयार न हो जाए। इस रिफाइनरी में आवश्यक परीक्षण पहले ही किए जा चुके हैं। जैसा कि मैंने पूर्व में कहा, इसकी उत्पादन क्षमता 9 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष है।
मेरा विश्वास है कि कच्चा तेल स्थल पर पहुँच चुका है। चाहे वह कटिंग हो अथवा ड्रेजिंग, सभी प्रणालियों का परीक्षण किया जाना आवश्यक है। सभी प्रणालियाँ सुचारु रूप से कार्य कर रही हैं और अब यह केवल कुछ ही दिनों का विषय रह गया है। इसके उपरांत, मैं अपने सहयोगी माननीय सदस्य के साथ-जो पूर्व में भी कई बार मेरे साथ वहाँ जा चुके हैं-उस स्थल का दौरा करूँगा।
चूँकि माननीय सदस्य ने यह प्रश्न अशोकनगर के संदर्भ में उठाया है, अतः मुझे उन्हें यह जानकारी प्रदान करते हुए विशेष प्रसन्नता हो रही है।
