मानसिक तनावों से सहज मुक्ति दिलाता है पर्युषण महापर्व : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर

Update: 2024-09-02 08:40 GMT

उदयपुर। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा की निश्रा में पर्वाधिराज महापर्व पर्युषण के आयोजन धूमधाम से जारी है। ये आठ दिन तक चलेगा जिसमें धर्म-ध्यान, पूजा, पाठ, सामायिक, तप व तपस्या आदि की जाएगी। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सान्निध्य में पर्युषण महापर्व तहत आरती, मंगल दीपक, सुबह सर्व औषधी से महाअभिषेक एवं अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। नाहर ने बताया कि आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा के सान्निध्य में आठ दिन तक सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं प्रतिदिन सुबह व्याख्यान, सामूहिक ऐकासणा व शाम को प्रतिक्रमण तथा भक्ति भाव कार्यक्रम आयोजित हो रहे है। बुधवार 4 सितम्बर भादवा सुदी एकम को सुबह 9.30 बजे आयड़ तीर्थ में कल्पसुत्र वाचन के तहत 14 स्वप्न दर्शन की बोलियां लगेगी।

चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि सोमवार को आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने पर्यूषण महापर्व की विशेष विवेचना करते हुए बताया कि पर्वाधिराज महापव्र पर्युषण की आराधना-साधना, उपासक का उपक्रम बहुत ही उल्लासमय वातावरण के साथ चल रहा है। आज तीसरे दिन के प्रवचन में पौषध व्रत के विषय में कहा कि जिनेक के साथ चलना, बैठना, सोना, खाना, पीना बोलना हमे पाप कर्म बन्धनों से मुक्त करता है यानि कि मनुष्य का आचरण एवं व्यवहार आदि विवेक जागरण से युक्त है तो पाप का बन्ध नहीं होता है। विवेक का जीवन में समावेश ही सच्चा जागरण है, सच्ची जागृति है। विवेक ही जीवन में जागृति का शंखनाद फूंक देता है। पर्युषण महापर्व विवेक जागरण करता है, जिससे सारा जीवन बुराइयों से रहित होकर प्रतिदिन, प्रतिपल आध्यात्मिक आनन्द का उत्सव बने। व्रत पौषध यानि पुष्टि जो व्रत धर्म को परिपुष्ट करता है उसे व्रत करते है। पर्व तिथियों में पाँच सुत्र आवश्यक रूप से करना चाहिए ऐसा शास्त्रीय निर्देश है। यह पोषध इत तो नित्य करणीय है, किन्तु यदि किन्ही कारणों से प्रतिदिन करना संभव न हो तो हर माह की चतुदर्शी, पर्व की तिथियां और पर्युषण महापर्व में अनिवार्यत: करना चाहिए। परिपूर्ण पौष यानि कि उपवास करके अष्ट प्रहर तक आत्म- निरीक्षण, मात्म-मनन, आत्म चिंतन धर्मध्यान करना परिपूर्ण पौषध कहलाता है। इस पौषध व्रत में चार प्रकार का त्याग अनिवार्य है शरीर-श्रृंगार, ब्रहमचर्य का पालन, आहार तथा सांसारिक व्यापार।

आयड़ जैन तीर्थ पर पर्युषण महापर्व के तहत प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।

इस अवसर पर कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या आदि मौजूद रहे।

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