बडग़ांव में भगवान द्वारकाधीश के जयकारों के साथ सात दिवसीय भागवत कथा की हुई पूर्णाहुति
उदयपुर। झीलों की नगरी के बडग़ांव स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर होली चौक मंदिर प्रतिमा पुनस्र्थापना समारोह के तत्वाधान में आयोजित सात दिवसीय संगीतमय भागवत कथा का समापन पूर्णाहुति एवं सम्मान समारोह के साथ हुआ।
विठ्ठल वैष्णव ने बताया कि सभी भक्तों द्वारा पूर्णाहुति के दिन महाआरती की गई और सभी ने भगवान द्वारकाधीश के जयकारे लगाए और पूरा प्रांगण जयकारों से गूंज उठा । महाराज ने सभी भक्तों को व्यासपीठ से प्रसाद रूप में एक पत्रक में संपूर्ण भगवद गीता के पत्रक वितरित किए। अंतिम दिन पूरा कथा पंडाल श्रद्धालुओं से खचाखच भर गया व सभी भक्तों ने खूब आनंद प्राप्त किया। कथा पूर्णाहुति के अवसर पर गांव के समस्त पदाधिकारियों ने व्यासपीठ पर पुष्कर दास महाराज का पगड़ी,शाल, उपरना ओढ़ाकर सम्मान किया।
व्यासपीठ से कथावाचक पुष्कर दास महाराज ने कहा प्रभु की कृपा होती है तभी कोई वक्ता व्यासपीठ से बोल पाता है । कृष्ण की वाणी, संतों की वाणी वायुमंडल में घूमती है तभी व्यासपीठ से शब्द निकलते है । व्यासपीठ सभी की मनोकामना पूरी करती है क्यों कि वह व्यास जी की गद्दी है, मन में श्रद्धा हो तो ग्रंथों से हमे शांति मिलती हैं । सत्संग में मन की धुलाई होती है, हर व्यक्ति मन से बंधा हुआ है। हम कोई भी सत्कर्म, पूजा, पाठ करते है परन्तु जब तक सत्संग में नहीं बैठेंगे तब तक सत्कर्म की विधि का ज्ञान नहीं हो सकता। जहां भक्ति होगी ईश्वर पीछे पीछे आता है, भगवान कृष्ण ने जो कहा और राम ने जो किया वो हमे पालन करना चाहिए। राम, कृष्ण दोनों को अपने जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ा।
महाराज ने कहा जिसकी आत्मा हर दम हरी चित्त में लगी रहे वही गोपी है । आगे भगवान द्वारकाधीश रुक्मणी जी का हरण करके ब्याह रचाते है और कथा में रुक्मणी विवाह के प्रसंग का विस्तार से वर्णन किया गया । सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कृष्ण और सुदामा में प्रेम था तभी जगत का मालिक द्वारकाधीश मिलने के लिए दौड़े चले आये। हम भगवान के दर्शन करने जाते है और सुदामा मिलने जाते है, सुदामा ने द्वारका नगर में जाकर पूछा द्वारा कहा है इसलिए उस नगर का नाम द्वारका पड़ा । सुदामा के जीवन में इतनी गरीबी होने के बाद भी अहसास नहीं होने दिया । पत्नी का नाम सुशीला था जैसा नाम था वैसा गुण भी था, सुदामा चावल की पोट लेकर द्वारका जाते है और द्वारकाधीश ने मित्र सुदामा का खूब स्वागत सम्मान किया और स्वयं भगवान ने रुक्मणी जी के साथ सुदामा के चरण प्रक्षालन किए। भगवान ने सुदामा की गरीबी दूर करी। मंच संचालक सुनील व्यास ने सभी श्रोताओं का आभार व्यक्त किया ।