स्वामी अमराव महाराज 'निरंजनी' के देवलोक गमन पर आचार्य ने दी संवेदनाएं
शाहपुरा, पेसवानी
शाहपुरा जिले के संकट मोचन आदर्श गोशाला एवं श्री संकटहरण हनुमद्वाम (शक्करगढ़) के प्रेरक और संरक्षक परम आदर्श आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी जगदीश पुरी जी के साधु जीवन के सर्जक व संपोषक, सद्गुरुदेव परमहंस स्वामी अमराव जी महाराज 'निरंजनी' का 95 वर्ष की आयु में आकस्मिक देवलोक गमन हो गया। उनके निधन पर रामस्नेही संप्रदाय के पीठाधीश्वर, जगतगुरु आचार्य श्री रामदयाल जी महाराज ने गहरी संवेदनाएं व्यक्त की हैं।
आचार्य श्री रामदयाल जी महाराज ने इंदौर प्रवास से शोक संदेश प्रेषित करते हुए कहा कि स्वामी अमराव जी महाराज ने अपने सादगीपूर्ण साधु जीवन के अद्भुत आदर्श प्रस्तुत किए। उनका ब्रह्मलीन होना समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। मंगलवार, 3 दिसंबर को उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली और ब्रह्मलीन हो गए। आचार्य श्री ने कहा है की श्री अमराव जी महाराज अपनी सादगी, सेवा और समाज के प्रति समर्पण के लिए समूचे क्षेत्र में प्रसिद्ध थे। उन्होंने गोसेवा और अन्य सामाजिक कार्यों के माध्यम से समाज के लिए अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किए। उनके कार्यों ने न केवल शक्करगढ़ क्षेत्र में बल्कि दूर-दराज के स्थानों पर भी लोगों को प्रेरित किया।
आचार्य श्री रामदयाल जी महाराज ने अपने संदेश में कहा कि स्वामी अमराव जी महाराज का जीवन त्याग और समर्पण का प्रतीक था। उनकी गोसेवा और समाज सुधार के कार्य हमेशा याद किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि स्वामी जी के देवलोक गमन से पूरा समाज शोकाकुल है, लेकिन उनके आदर्श और उनके द्वारा दिखाया गया मार्ग हमेशा प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।
स्वामी अमराव जी महाराज 'निरंजनी' का जीवन हर साधक और भक्त के लिए एक उदाहरण था। उनके सान्निध्य में रहकर अनेकों ने आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्राप्त की। उन्होंने अपने जीवनकाल में धार्मिक, सामाजिक और गोसेवा से जुड़े अनेक कार्य किए, जो उनकी अमर विरासत का हिस्सा हैं।
श्री अमर ज्ञान निरंजनी आश्रम, शक्करगढ़, में उनके ब्रह्मलीन होने के बाद श्रद्धांजलि देने वालों की भीड़ उमड़ रही है। सभी ने उनके महान योगदान को नमन करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।