शाहपुरा-पेसवानी झालावाड़ जिले के राउप्रावि पिपलोदी विद्यालय भवन गिरने से हुए दर्दनाक हादसे के बाद शिक्षा व्यवस्था को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। इसी क्रम में राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के संयुक्त सचिव एवं समग्र शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष रामधन बैरवा ने राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को पत्र लिखकर एक महत्वपूर्ण मांग की है।
बैरवा ने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि राज्य में अधिकांश अधिकारी, कर्मचारी और जनप्रतिनिधि अपने बच्चों को सरकारी विद्यालयों में नहीं पढ़ाते, जबकि उन्हें वेतन, भत्ते और अन्य सभी सुविधाएं राज्य सरकार द्वारा प्रदान की जाती हैं। ऐसे में यदि इन लोगों के बच्चों को भी सरकारी स्कूलों में पढ़ाने की अनिवार्यता लागू की जाती है, तो इससे सरकारी स्कूलों की दशा और दिशा दोनों में सुधार आएगा।
उन्होंने कहा कि यदि निम्न से लेकर उच्च स्तर के सभी सरकारी अधिकारी, कर्मचारी और जनप्रतिनिधि अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाएं, तो सरकारी शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक परिवर्तन होंगे। इससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, बेहतर नेतृत्व और स्कूलों में संसाधनों की पूर्ति सुनिश्चित की जा सकेगी। साथ ही नामांकन में वृद्धि होगी, जिससे शिक्षकों को भी अधिक अवसर मिलेंगे।
रामधन बैरवा ने यह भी बताया कि तीन माह पूर्व शिक्षा मंत्री मदन दिलावर से उनके निवास पर मुलाकात के दौरान यह विषय उठाया गया था, तब मंत्री ने इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार करने की बात कही थी। उन्होंने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि पंजाब के राज्यपाल एवं राजस्थान के वरिष्ठ नेता गुलाबचंद कटारिया भी इस प्रकार की अनिवार्यता लागू करने की मंशा पहले ही जता चुके हैं।
बैरवा ने सरकार से मांग की है कि इस नियम को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए, ताकि आने वाले समय में सरकारी विद्यालय केवल नाम मात्र के न रह जाएं, बल्कि वे राज्य की शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ बन सकें। यह कदम ना केवल शिक्षा में समानता की ओर बढ़ेगा बल्कि जनता के बीच विश्वास भी बढ़ाएगा। हादसे जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए आवश्यक है कि सभी वर्गों को सरकारी शिक्षा प्रणाली से जोड़ा जाए, जिससे उसके सुधार की जिम्मेदारी सबकी हो।
