यूडीएच ने भीलवाड़ा हलचल के मुद्दे पर लगाई मोहर: जलभराव की बड़ी वजह - सड़कों पर बार-बार परत चढ़ाने की गलती, अब सख्त निर्देश: पुरानी सड़क हटाए बिना नहीं बनेगी नई सड़क
भीलवाड़ा हलचल सड़कों के नवीनीकरण के दौरान बार-बार नई परत चढ़ाना और पुरानी परत को हटाए बिना ही डामर या सीमेंट-कंक्रीट बिछाने के चलते भीलवाड़ा के साथ ही अन्य जिलों में बरसात के दौरान जलभराव और नालियों के ओवरफ्लो होने की समस्या अब आम हो गई है। वही सड़क मकानों से ऊपर उठ गई हे और मकान निचे रहे गए हे ऐसे में कई तरह की समस्याओ को सही मानते हुए शहरी विकास एवं आवास (यूडीएच) विभाग ने भीलवाड़ा हलचल की खबरों पर मोहर लगाते हुए सरकार ने संज्ञान लिया है यूडीएच ने दिए -पुरानी सड़क हटाए बिना नई सड़क नहीं बनाने के सख्त आदेश जारी किये हे यूडीएच ने चेतावनी भी दी है कि यदि किसी भी सड़क परियोजना में यह नियम नहीं अपनाया गया, तो वित्तीय दंड और कार्यवाही की जाएगी।
दरअसल, बीते वर्षों में बार-बार बिना मिलिंग किए सड़कों पर नई डामर/सीमेंट परतें चढ़ाने से सड़क का लेवल आस-पास के घरों और दुकानों से ऊपर हो गया है। परिणामस्वरूप बारिश का पानी गलियों में जमा हो जाता है और उसका बहाव सीधा घरों की ओर हो जाता है। कई स्थानों पर तो नालियां भी सड़क के लेवल से ऊंची हो गई हैं, जिससे जलनिकासी पूरी तरह बाधित हो चुकी है।
पुराने शहरी क्षेत्रों और 20-30 साल पहले बनी कॉलोनियों में, सड़क पर एक के बाद एक नई परत चढ़ाने से सड़क का स्तर आस-पास के घरों और दुकानों के चबूतरे से ऊँचा हो गया है। परिणामस्वरूप बरसाती पानी गलियों में ठहर जाता है, क्योंकि पानी का बहाव घरों की ओर हो जाता है।कई जगह नालियों का स्तर सड़क से नीचा न रहने के कारण जल निकासी ठप हो जाती है।ऐसे में मुरर्ली विलास रोड , पांसल रोड , जवाहर नगर ,बापूनगर सहित शर की अधिकांश कॉलोनियों की यही हालत हे
विभाग का संज्ञान और परिपत्र : यूडीएच विभाग ने 06 जून 2025 को जारी परिपत्र में साफ कहा है कि यह गलती अब नहीं दोहराई जाएगी। सभी शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) को निर्देश दिया गया है कि नवीनीकरण से पहले सड़क की पुरानी परत की मशीन से मिलिंग की जाए। हटाई गई डामर सामग्री को पुनः प्राप्त डामर (RAP) के रूप में नई परत में मिलाया जाए।
इससे सड़क का मूल स्तर कायम रहेगा और जल निकासी व्यवस्था प्रभावित नहीं होगी।
NHAI का अनुभव : राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने भी कई बार कहा है कि पुनर्नवीनीकरण डामर 100% नए डामर जितना ही मजबूत होता है और इसकी उम्र भी समान रहती है।
इससे सड़क निर्माण की लागत घटती है और खनिज संसाधनों की बर्बादी रुकती है।
क्या बदलेगा नई नीति से
सड़क का स्तर नहीं बढ़ेगा, जिससे गली-मोहल्लों में जलभराव की समस्या घटेगी। बारिश में पानी का बहाव सामान्य रहेगा और नालियों का ओवरफ्लो कम होगा।
प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और निर्माण लागत में बचत होगी।
विभाग का सख्त संदेश
यूडीएच ने चेतावनी दी है कि यदि किसी भी सड़क परियोजना में यह नियम नहीं अपनाया गया, तो वित्तीय दंड और कार्यवाही की जाएगी। विभाग ने कहा — "गलत इंजीनियरिंग प्रैक्टिस के कारण शहरों में हर साल बारिश के समय जो हालात बनते हैं, उन्हें अब बदला जाएगा।"
भीलवाड़ा हलचल ने ये उठाया था मुद्दा
परत-दर-परत डामर चढ़ाया गया, मकानों से ऊपर उठी सड़कें
भीलवाड़ा (हलचल)। शहर में सड़कों के बार-बार डामरीकरण के चलते अब हालात यह हो गए हैं कि कई जगह सड़कों की ऊंचाई पास के मकानों से भी ऊपर हो गई है। बिना पुराने डामर को हटाए हर बार नई परत चढ़ा दी जाती है, जिससे सड़कें परत-दर-परत ऊंची होती जा रही हैं।
इससे मकानों में पानी भरने की आशंका बढ़ गई है, खासकर बरसात में। कई कॉलोनियों में मकानों के मुख्य द्वार से नीचे सड़क का नाला बहता था, अब वहीं पानी मकानों के बराबर या ऊपर बहने लगा है।
नुकसान क्या हो रहा है?
मकानों की नींव पर पानी का दबाव बढ़ा
बरसात में पानी का बहाव उल्टा मकानों की ओर
फुटपाथ और नालियों की ऊंचाई भी खत्म
स्थानीय लोगों की मांग:
पुराने डामर को हटाकर ही नया डामरीकरण किया जाए
सड़क निर्माण से पहले मकानों की ऊंचाई का आकलन हो
जल निकासी की समुचित व्यवस्था बनाई जाए
