सख्ती का नया अध्याय: गिरफ्तारी पर पीएम-सीएम को छोड़ना होगा पद, संसद में आज तीन अहम विधेयक पेश

Update: 2025-08-20 01:56 GMT

नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र में आज सरकार तीन ऐसे विधेयक पेश करने जा रही है, जिनके जरिए सत्ता के उच्चतम स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित करने की कोशिश की जाएगी। इन विधेयकों का सबसे बड़ा प्रावधान यह है कि यदि प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री या केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री अथवा मंत्री गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार होते हैं या हिरासत में लिए जाते हैं, तो उन्हें तत्काल पद छोड़ना होगा।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बुधवार को लोकसभा में इन तीनों विधेयकों को पेश करेंगे और इन्हें संसद की संयुक्त समिति को भेजने का प्रस्ताव भी रखेंगे। राजनीतिक हलकों में इसे "भ्रष्टाचार और आपराधिक छवि के खिलाफ ऐतिहासिक कदम" के रूप में देखा जा रहा है।

कौन-कौन से विधेयक पेश होंगे

सरकार जिन तीन विधेयकों को पेश करने जा रही है, उनमें शामिल हैं:

1. केंद्र शासित प्रदेश की सरकार (संशोधन) विधेयक 2025 – इसमें केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों पर सख्त प्रावधान जोड़े जाएंगे।

2. संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025 – इस संशोधन के जरिए पदाधिकारियों की जवाबदेही और स्पष्टता को संवैधानिक ढांचा दिया जाएगा।

3. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025 – इस विधेयक में विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ाने की पहल होगी।

क्यों अहम है यह कदम

भारत की राजनीति में लंबे समय से यह सवाल उठता रहा है कि जब आम नागरिक पर आपराधिक मामला दर्ज होते ही उसकी कई नागरिक सुविधाएं प्रभावित होती हैं, तो शीर्ष नेताओं के लिए अलग पैमाना क्यों होना चाहिए। विपक्ष और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने बार-बार मांग उठाई थी कि जनप्रतिनिधियों पर भी समान कानूनी कसौटी लागू की जाए।

इन विधेयकों के जरिए सरकार का संदेश साफ है कि सत्ता में बैठे लोग किसी विशेष छूट के पात्र नहीं होंगे। गंभीर आरोपों में गिरफ्तारी के साथ ही उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ेगा।

राजनीतिक हलचल तेज

इन विधेयकों की चर्चा शुरू होते ही राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ गई है। विपक्ष ने इसे "जनता के दबाव में लिया गया फैसला" करार दिया है, वहीं सत्तारूढ़ दल इसे "भ्रष्टाचार और अपराध-मुक्त राजनीति की दिशा में ऐतिहासिक पहल" बता रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ये प्रावधान कानून का रूप लेते हैं, तो भविष्य में मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों पर गंभीर आपराधिक मामलों में कार्रवाई आसान होगी। हालांकि यह भी आशंका जताई जा रही है कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते आरोप और गिरफ्तारी को हथियार के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

आगे क्या होगा

अब सबकी नजर इस बात पर है कि संयुक्त समिति इन विधेयकों पर क्या सुझाव देती है। यदि इन्हें जल्द ही पारित किया जाता है, तो यह भारतीय राजनीति में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हो सकता है।

आज संसद में पेश होने जा रहे ये तीन विधेयक केवल कानूनी बदलाव नहीं, बल्कि सत्ता के उच्च पदों पर बैठे लोगों के लिए जवाबदेही का नया अध्याय खोलने वाले साबित हो सकते हैं।


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