जिला प्रमुख और प्रधानों को लेकर बड़ा फैसला:222 पंचायत समितियों का कार्यकाल होगा खत्म; SDM-जिला कलेक्टर होंगे प्रशासक
राजस्थान में स्थानीय स्वशासन की तस्वीर इन दिनों बड़े बदलाव से गुजर रही है। पंचायत समितियों और जिला परिषदों में चुनकर आए जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल जैसे-जैसे पूरा हो रहा है, सरकार इन संस्थाओं का नियंत्रण अब तेज़ी से प्रशासनिक अधिकारियों को सौंपने लगी है।
पहले सरपंचों की तर्ज पर प्रधानी और निकायों के चेयरमैन भी कार्यकाल बढ़ाने और प्रशासक नियुक्ति की मांग कर रहे थे, लेकिन सरकार ने पंचायत समितियों और जिला परिषदों के लिए बिलकुल अलग रास्ता चुन लिया।
यह परिवर्तन न केवल संरचना में बदलाव है, बल्कि पंचायत शासन के संचालन मॉडल में भी आमूलचूल परिवर्तन का संकेत देता है।
जनप्रतिनिधियों की विदाई, प्रशासनिक मोड सक्रिय
ग्राम पंचायतों में कार्यकाल खत्म होने पर सरकार मौजूदा सरपंचों को ही प्रशासक बनाकर निरंतरता बनाए रख रही है,
लेकिन पंचायत समितियों और जिला परिषदों में नया मॉडल लागू किया जा रहा है—
➤ प्रधान की जगह SDM
पंचायत समिति का कार्यकाल पूरा होते ही वहां उपखंड अधिकारी (SDM) प्रशासक बना दिए जाएंगे।
➤ जिला प्रमुख की जगह जिला कलेक्टर
जिला परिषदों की कमान अब जिला कलेक्टर के हाथों में होगी और संपूर्ण प्रशासनिक कार्यवाही उन्हीं के अधीन चलेगी।
इससे स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि ग्रामीण शासन में अब अधिकारी-प्रधान मॉडल और अधिक मजबूत होने जा रहा है।
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11 दिसंबर तक होंगे बड़े बदलाव
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान के आदेशों के अनुसार—
राज्य की जिन पंचायत समितियों का कार्यकाल 11 दिसंबर तक समाप्त हो रहा है, वहां संबंधित SDM प्रशासक का पदभार संभालेंगे।
कौन सा SDM किस पंचायत समिति की जिम्मेदारी लेगा, इसका निर्णय जिला कलेक्टर करेंगे।
222 पंचायत समितियों का कार्यकाल खत्म
इस महीने पूरे राजस्थान में लगभग 222 पंचायत समितियों का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है।ये समितियां उदयपुर, टोंक, सीकर, राजसमंद सहित 21 जिलों में फैली हुई हैं।
इसी से पहले जयपुर, जोधपुर और कोटा नगर निगमों में भी कार्यकाल समाप्त होने पर संभागीय आयुक्तों को प्रशासक बनाया जा चुका है।
इन 21 जिला परिषदों में कलेक्टर होंगे प्रशासक
जैसलमेर, उदयपुर, बाड़मेर, अजमेर, पाली, भीलवाड़ा, राजसमंद, नागौर, बांसवाड़ा, बीकानेर, बूंदी, चित्तौड़गढ़, चूरू, डूंगरपुर, हनुमानगढ़, जालोर, झालावाड़, झुंझुनूं, प्रतापगढ़, सीकर और टोंक।
इतनी बड़ी संख्या में जिला परिषदों की कमान एक साथ प्रशासनिक अधिकारियों को सौंपना राज्य में पहली बार हो रहा है।
सरपंचों की तरह ‘कार्यकाल बढ़ाने’ की मांग पर खिंची लाइन
ग्राम पंचायतों में जहां सरपंचों का कार्यकाल प्रशासक बनाकर आगे बढ़ाया गया था,
वहीं पंचायत समितियों में प्रधान भी यही मांग उठा रहे थे।लेकिन सरकार ने पुरानी व्यवस्था को ही आधार मानते हुए स्पष्ट कर दिया—यानी गांव से लेकर जिला स्तर तक, चुनाव में देरी की स्थिति में अब नेतृत्व प्रशासनिक व्यवस्था ही संभालेगी।
