पंडितजी, जीत होगी या हार?""कितने वोटों से बाजी मारेंगे? ...कारोई गांव बना चुनावी भविष्य जानने का ठिकाना, पंचायत-निकाय दावेदारों की लगी कतार,

Update: 2025-09-01 23:50 GMT

भीलवाड़ा (राजकुमार माली)।

राजस्थान में पंचायत और निकाय चुनावों की सरगर्मी जैसे-जैसे तेज हो रही है, वैसे-वैसे सियासत के मैदान से लेकर देवस्थानों तक हलचल बढ़ने लगी है। नेताओं और दावेदारों के कदम अब सिर्फ मतदाताओं के दरवाजे तक ही नहीं, बल्कि भविष्यवक्ताओं के दरबार तक भी पहुंचने लगे हैं, वहीं दूसरी ओर भीलवाड़ा जिले का भविष्य वक्ताओं का गाँव  कारोई, अचानक नेताओं और उम्मीदवारों का मुख्य केंद्र बन गया है। इसकी वजह है यहां के जाने-माने भविष्यवक्ता, जिनके पास नेता अपनी किस्मत का हाल जानने के लिए लंबी-लंबी लाइनें लगा रहे हैं

जहां राष्ट्रपति बनने से पहले आईं थीं प्रतिभा पाटिल



 


कारोई गांव का नाम नया नहीं है। यह वही गांव है जहां देश की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने राष्ट्रपति बनने से पहले अपना भविष्य जाने कारोई आई थी । गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि “पंडितों की गणना सही निकली थी, तभी से कारोई का नाम दूर-दूर तक फैल गया।” तभी से कारोई नेताओं, फिल्मी सितारों और बड़े उद्योगपतियों तक का आस्था स्थल बन चुका है।

चुनावी मौसम में बढ़ी रौनक

पंचायत और निकाय चुनाव नजदीक आते ही कारोई गांव की रौनक और बढ़ गई है। यहां के जाने-माने पंडित ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि रोजाना आधा दर्जन से ज्यादा उम्मीदवार यहां दस्तक दे रहे हैं। इनमें कोई सरपंची का दावेदार है, तो कोई वार्ड पंच या जिला परिषद सदस्य। निकायों के पार्षद और अध्यक्ष पद की चाह रखने वाले भी पीछे नहीं हैं।



हर किसी का सवाल लगभग एक जैसा होता है—

"पंडितजी, जीत होगी या हार?"

"कितने वोटों से बाजी मारेंगे?"

नेताओं का आत्मविश्वास बढ़ाता है ज्योतिष



 पंडित ओमप्रकाश शर्मा कहते हे कई उम्मीदवार मानते हैं कि कारोई गांव में मिली सकारात्मक भविष्यवाणी उनके लिए आत्मविश्वास का स्रोत बन जाती है। "अगर पंडितजी कह दें कि जीत पक्की है, तो चुनाव प्रचार के दौरान हौसला दोगुना हो जाता है," एक दावेदार ने हंसते हुए कहा।

पंडित शर्मा मुस्कुराकर कहते हैं—

"हम तो ग्रह-नक्षत्रों की चाल बताते हैं, मेहनत और कर्म तो उम्मीदवार को ही करना पड़ता है।"

गांव में चर्चा का दौर

कारोई गांव का माहौल इन दिनों पूरी तरह चुनावी हो गया है। चाय की थड़ियों से लेकर हर जगह दावेदारों के आने-जाने की चर्चा हो रही है। गांव के दुकानदार  बताते हैं—

"चुनाव आते ही कारोई का रंग बदल जाता है, दिनभर नेताओं की गाड़ियां आती-जाती रहती हैं।"

वहीं, गांव के बुजुर्ग भेरूलाल कहते हैं—

"हमने दशकों से देखा है, यहां जो भविष्यवाणी होती है, वो अक्सर सच साबित होती है।"

गांव के युवा राजेश भी हंसी-मजाक में जोड़ते हैं—

"नेता लोग वोट मांगने से पहले कुंडली दिखाने कारोई जरूर आते हैं।"

राजनीति और आस्था का संगम

राजनीति में जीत-हार जनता के समर्थन पर निर्भर करती है, लेकिन दावेदार मानते हैं कि ज्योतिष उन्हें आत्मबल देता है। पंचायत चुनाव गांव की राजनीति की नींव होते हैं और कई बार यही मंच बड़े नेताओं का भविष्य तय करता है। शायद यही कारण है कि छोटे से कारोई गांव में आजकल बड़े-बड़े दावेदारों का जमावड़ा है।

जब कारोई से निकलेंगे नतीजे

चुनावी परिणाम आने के बाद ही तय होगा कि कारोई गांव के पंडितों की भविष्यवाणी कितनी सटीक बैठी। लेकिन फिलहाल इतना जरूर है कि पंचायत और निकाय चुनाव की सरगर्मी के बीच कारोई गांव राजस्थान की राजनीति का एक आध्यात्मिक चुनावी केंद्र बन चुका है।

 आजकल एक ही जुमला सबसे ज्यादा सुनाई देता है—

"जनता का मन टटोले बिना जीत मुश्किल है, पर कारोई जाकर कुंडली दिखाए बिना उम्मीदवारों का मन नहीं मानता।"


 

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