कोटड़ी चारभुजा नाथ जलझूलनी महोत्सव कल , तैयारियां पूरी , आस्था का उमड़ रहा हे सैलाब
भीलवाड़ा , जिले के कोटड़ी चारभुजा जी के जलझूलनी महोत्स्व की लेकर सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हे आस्था के दरबार में भक्तो का पहुंचना शुरू हो गया हे
कोटड़ी चारभुजा जी ट्रस्ट के सुदर्शन गाडोदिया ने हलचल को बताया की भगवान चारभुजाजी के जलझूलनी कार्यक्रम को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हे दर्शनों के लिए माकूल व्यवस्था की गई हे ताकि किसी को परशानी न हो .भीलवाड़ा , बनेड़ा शाहपुरा मांडलगढ़ सहित विभिन्न इलाकों से पदयात्रियों के जत्थे कोटड़ी की और कुछ क्र रहे हे शाम ढलने के साथ ही इनकी संख्या बढ़ती जाएगी और कोटड़ी मार्ग पर डीजे , ढोले पर नाचते गाते पदयात्री आस्था के धाम कोटड़ी श्याम की और बढ़ते जायेगे .
साल में एक बार जलझूलनी एकादशी पर कोटड़ी चारभुजा नाथ अपने निज मंदिर से किसान का रूप धारण करके भक्तों के बीच पहुंचते हैं. 18 घण्टों तक नगर भ्रमण करते हैं चांदी के बेवाण में सवार भगवान के दर्शनों के लिए भीलवाड़ा हीं नहीं मेवाड़ भर से हजारों श्रद्धालु पैदल पहुंचते हैं. चारभुजा नाथ दिनभर भक्तों के साथ नगर भ्रमण करते हैं बाद में सरोवर पर स्नान करने के साथ ही विशेष पूजा अर्चना के बाद अपने मंदिर पहुचते हैं. जलझूलनी एकादशी पर भगवान चारभुजा के दर्शनों के लिए हजारों और लाखों की तादाद में श्रद्धालु उमड़ते हैं. ढोल नंगाडों के साथ निकले बेवाण के दर्शन कर चारभुजा नाथ की पूजा अर्चना करते हैं.
मंदिर पुजारी र कहते हैं कि यह भीलवाड़ा के कोटड़ी में स्थित कोटड़ी चारभुजा नाथ मंदिर रियासत काल से बना हुआ मंदिर है वैसे तो भक्त भगवान के दर्शन करने के लिए मंदिर पहुंचने हैं लेकिन साल में एक दिन ऐसा आता है जब जल झूलनी एकादशी पर ठाकुर जी महाराज भक्तों के साथ नगर भ्रमण पर निकलते हैं.
18 घण्टों तक भक्तों के बीच रहते हैं भगवान
श्री चारभुजा नाथ कोटड़ी ट्रस्ट के अध्यक्ष सुदर्शन गाडोदिया ने कहा कि प्रति वर्ष जलझुलनी एकादशी को भगवान चारभुजा नाथ बेवाण में विराजमान होकर भक्तों के कंधों पर दोपहर 3 बजे रवाना होकर दुसरे दिन सुबह: अपने मंदिर में विराजमान होगें. इस दौरान नगर भ्रमण के बाद सरोवर पर जलझूलन करते है और भक्त उसका आनंद लेते है. इसमें हजारों और लाखों की तादाद में श्रद्धालु पैदल यात्रा करके पहुंचते है. जिनके लिए भक्तों द्वारा लंगर भी लगाएं जाते है हमारी भगवान चारभुजानाथ से यही कामना है कि उनकी प्रति जो लोगों की श्रद्धा है उसे बनाएं रखे.
भीलवाड़ा हलचल जिले के कोटड़ी चारभुजा जी धाम में जलझूलनी एकादशी का भव्य महोत्सव कल (3 सितंबर, 2025) पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा। इस पावन अवसर पर लाखों श्रद्धालु भगवान चारभुजा नाथ के दर्शनों के लिए दूर-दूर से पैदल पहुंच रहे हैं। कोटड़ी-भीलवाड़ा मार्ग भक्तों की भीड़, 'जय चारभुजा नाथ' के जयकारों, डीजे और ढोल-नगाड़ों की थाप से गुलजार है।पदयात्रियों के जत्थे कोटड़ी की और कुच कर रहे हे और पूरी रात भीलवाड़ा कोटड़ी मार्ग पर रेलमपल रहेगी ,जगह जगह भक्तो के लिए भंडार लगाए गए हे .कल भगवान चारभुजा नाथ चांदी के रथ में सवार होकर नगर भ्रमण को निकलेगे. शाम को भगवान चारभुजा नाथ सरोवर में जलझूलन करेगें और उसके बाद नगर में होते हुए सुबह निज धाम पहुंचेगें. इस दोरान कस्बे में हर घर के बाहर भक्तों द्वारा ठाकूर जी की आरती की जाती है.. आइए, इस महोत्सव की प्रमुख तैयारियों और विशेषताओं पर नजर डालें:
तैयारियां पूरी, भक्तों का आगमन शुरू
जलझूलनी महोत्सव को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। कोटड़ी चारभुजा नाथ मंदिर ट्रस्ट ने भक्तों के सुचारू दर्शनों के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। ट्रस्ट के अध्यक्ष सुदर्शन गाड़ोदिया ने बताया कि दर्शनार्थियों की भारी संख्या को देखते हुए माकूल व्यवस्थाएं की गई हैं, ताकि किसी को कोई परेशानी न हो। भीलवाड़ा, बनेड़ा, शाहपुरा, मांडलगढ़ और मेवाड़ के अन्य क्षेत्रों से पदयात्रियों के जत्थे कोटड़ी की ओर लगातार बढ़ रहे हैं। जैसे-जैसे शाम ढलेगी इनकी संख्या में बढ़ोतरी होगी । पूरा मार्ग डीजे और ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाचते-गाते पदयात्रियों से गुलजार है, जो भक्ति भाव में लीन होकर अपने आराध्य के धाम की ओर बढ़ रहे हैं।
कोटड़ी चारभुजा नाथ जलझूलन: आस्था का महाकुंभ, गुलाल उड़ेगी, भक्त झूम उठेंगे!
यह महोत्सव इसलिए भी खास है क्योंकि साल में सिर्फ एक बार जलझूलनी एकादशी पर ही भगवान चारभुजा नाथ अपने निज मंदिर से बाहर निकलते हैं। इस दिन, वह किसान का रूप धारण कर चांदी के रथ (बेवाण) में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलते हैं। यह यात्रा लगभग 18 घंटे तक चलती है, जिसमें भगवान अपने भक्तों के बीच रहते हैं। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि यह रियासत काल से चली आ रही एक अनोखी परंपरा है। ठाकुर जी महाराज भक्तों के साथ नगर की परिक्रमा करते हैं और उनके सुख-दुःख सुनते हैं।
जलझूलन की दिव्य लीला
भगवान के नगर भ्रमण का मुख्य हिस्सा सरोवर पर होने वाला जलझूलन है। भगवान चारभुजा नाथ चांदी के रथ में सवार होकर सरोवर पहुंचते हैं, जहां विशेष पूजा-अर्चना के बाद वह जल में झूलते हैं। इस दिव्य क्षण का साक्षी बनने के लिए हजारों भक्त सरोवर के पास एकत्रित होते हैं। जलझूलन के बाद, भगवान नगर के मुख्य मार्गों से गुजरते हुए वापस अपने मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं। इस पूरी यात्रा के दौरान, कस्बे में हर घर के बाहर भक्त अपने ठाकुर जी की आरती करते हैं, और उन्हें अपने घर आने का निमंत्रण देते हैं। यह दृश्य भक्तों की गहरी आस्था और श्रद्धा को दर्शाता है।
भीलवाड़ा-कोटड़ी मार्ग पर एकतरफा आवाजाही
पद्मयात्रा को देखते हुए भीलवाड़ा-कोटड़ी मार्ग पर यातायात व्यवस्था में बदलाव किया गया है। पदयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस मार्ग को एक तरफा कर दिया गया है। इससे भक्तों को बिना किसी रुकावट के मंदिर तक पहुंचने में मदद मिलेगी।
मेले में डॉलर चकरी और दुकानें
महोत्सव के दौरान मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्र में मेले का आयोजन किया गया है। मेले में डॉलर चकरी और अन्य झूले लगाए गए हैं, जो बच्चों और युवाओं को आकर्षित कर रहे हैं। इसके साथ ही विभिन्न प्रकार की दुकानें और स्टॉल भी लगी हैं, जहां भक्त पूजा सामग्री, प्रसाद और अन्य वस्तुएं खरीद सकते हैं।
पुलिस और ट्रस्ट की चौकसी
इस विशाल आयोजन के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पुलिस बल और ट्रस्ट के स्वयंसेवक मिलकर व्यवस्था संभाल रहे हैं। ट्रस्ट के अध्यक्ष सुदर्शन गाड़ोदिया ने बताया कि पुलिसकर्मी और ट्रस्ट के स्वयंसेवक मिलकर भीड़ को नियंत्रित करने और भक्तों को सुरक्षित दर्शन कराने में मदद कर रहे हैं। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि लाखों की भीड़ में कोई अप्रिय घटना न हो और भक्त सुरक्षित रूप से दर्शन कर सकें।
