जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक:: जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक: जूते और परिधानों पर जीएसटी दर 5% करने का फैसला, परिषद से मंजूरी मिलने की खबर

Update: 2025-09-03 14:02 GMT

 

नई दिल्ली,  

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आज नई दिल्ली में हुई 56वीं जीएसटी परिषद की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। सूत्रों के अनुसार, परिषद ने 2,500 रुपये तक के जूते और परिधानों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर को 12% से घटाकर 5% करने को मंजूरी दी है। वर्तमान में, 1,000 रुपये तक के जूते और परिधानों पर 5% जीएसटी लागू है, जबकि इससे अधिक कीमत वाले उत्पादों पर 12% कर लगता है। इस निर्णय से उपभोक्ताओं को रोजमर्रा के कपड़ों और जूतों पर कर में राहत मिलेगी।

जीएसटी स्लैब में बड़े बदलाव

बैठक में जीएसटी परिषद ने कर ढांचे को और सरल बनाने के लिए 12% और 28% के स्लैब को समाप्त करने का निर्णय लिया। इसके तहत, अधिकांश वस्तुओं को 12% स्लैब से 5% और 28% स्लैब से 18% स्लैब में स्थानांतरित किया जाएगा। इस कदम का उद्देश्य कर प्रणाली को सरल बनाना, उपभोक्ता वस्तुओं को सस्ता करना और व्यवसायों के लिए अनुपालन को आसान बनाना है।

अन्य प्रमुख निर्णय

आवश्यक वस्तुओं पर कर राहत: दैनिक उपयोग की वस्तुओं जैसे पैकेज्ड फूड, दवाइयां, और मेडिकल उपकरणों पर भी जीएसटी दरों में कमी की गई है।

लक्जरी और सिन गुड्स पर नया स्लैब: परिषद ने सिन गुड्स (जैसे तंबाकू, सिगरेट) और लक्जरी वस्तुओं (जैसे हाई-एंड कारें और घड़ियां) के लिए 40% का एक नया जीएसटी स्लैब पेश करने पर विचार किया।

ई-इनवॉइसिंग और अनुपालन: छोटे व्यवसायों (2 करोड़ रुपये से अधिक टर्नओवर वाले) के लिए ई-इनवॉइसिंग को अनिवार्य करने की समय सीमा 1 अक्टूबर 2025 निर्धारित की गई है। इसके साथ ही, इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के लिए स्वचालित मिलान प्रणाली को लागू किया जाएगा, जिससे कर विवादों में कमी आएगी।

आर्थिक प्रभाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में 'नेक्स्ट-जेन जीएसटी रिफॉर्म्स' की घोषणा की थी, जिसे दीवाली तक लागू करने का वादा किया गया था। विशेषज्ञों का मानना है कि इन सुधारों से उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें कम होंगी, एमएसएमई को लाभ होगा, और अर्थव्यवस्था में मांग को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, कुछ विपक्षी शासित राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल, केरल, और तमिलनाडु ने राजस्व हानि की आशंका जताई है और मुआवजे की मांग की है।

जीएसटी परिषद का यह कदम भारत की कर प्रणाली को और पारदर्शी और उपभोक्ता-अनुकूल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इन बदलावों के आधिकारिक अधिसूचना के बाद और अधिक स्पष्टता मिलने की उम्मीद है।

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