एरू नदी में उफान से तिलस्वां महादेव मंदिर में जलभराव,4 फीट पानी से मुख्य द्वार डूबा, हजारों यात्री फंसे; दुकानें और घर जलमग्न, प्रशासन अलर्ट पर
भीलवाड़ा हलचल ,जिले के बिजौलिया कस्बे में गुरुवार रात से जारी मूसलाधार बारिश ने हालात बिगाड़ दिए हैं। पिछले 24 घंटे में रिकॉर्ड 166 मिमी बारिश दर्ज की गई। लगातार बारिश से पंचानपुरा बांध, जिसकी भराव क्षमता 23 फीट है, ओवरफ्लो हो गया। इसके बाद एरू नदी उफान पर आ गई और देर रात हालात बेकाबू हो गए।
सबसे ज्यादा असर प्रसिद्ध तिलस्वां महादेव मंदिर पर पड़ा, जहां मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार करीब चार फीट पानी में डूब गया। दर्शन के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं को बाहर निकलना मुश्किल हो गया और मंदिर परिसर में ही रुकना पड़ा।
खिलौना मार्केट डूबा, दुकानदारों को भागना पड़ा
नदी का जलस्तर बढ़ने से मंदिर के नजदीकी खिलौना मार्केट की अस्थायी दुकानें भी पूरी तरह जलमग्न हो गईं। हालात बिगड़ते देख दुकानदार अपना सामान वहीं छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर भागे। कई दुकानों के साथ-साथ निचले इलाकों में बने कुछ घरों में भी पानी घुस गया। ग्रामीणों का कहना है कि पानी का स्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे बाढ़ का खतरा और गहरा हो गया है।
2000 से ज्यादा यात्री फंसे
ग्रामीण कुशल शर्मा ने बताया कि मंदिर परिसर और आसपास लगभग दो हजार से ज्यादा यात्री फंसे हुए हैं। प्रशासन ने उन्हें वहीं रुकने के निर्देश दिए हैं ताकि कोई बड़ा हादसा न हो। एरू नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, ऐसे में आवागमन पूरी तरह बंद कर दिया गया है।
प्रशासन और सिविल डिफेंस की टीम मौके पर
तहसीलदार ललित कुमार ने जानकारी दी कि हालात बिगड़ने पर सिविल डिफेंस की टीम मौके पर पहुंच गई है। अभी स्थिति नियंत्रण में है और लगातार निगरानी की जा रही है। उन्होंने बताया कि लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के लिए प्रशासन ने एहतियाती इंतजाम किए हैं।
ग्रामीणों की नाराजगी और मांग
स्थानीय ग्रामीणों में डर के साथ-साथ गुस्सा भी देखा गया। ग्रामीणों ने प्रशासन से एरू नदी को 100 फीट चौड़ा करने की मांग की है। साथ ही गंगा माता मंदिर के पीछे नहर बनाने और सलावटिया-तिलस्वां मार्ग पर 15 फीट ऊंची पुलिया बनाने की भी मांग उठाई है ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति से बचा जा सके।
20 दिन में दूसरी बार बाढ़ जैसे हालात
गौरतलब है कि इससे पहले 28 जुलाई को भी तिलस्वां महादेव मंदिर बाढ़ की चपेट में आ चुका है। तब भी सैकड़ों मकान और दुकानें जलमग्न हो गए थे। श्रावण मास के दौरान यह दूसरी बार है जब बाढ़ जैसे हालात बने हैं। लगातार दो बार के नुकसान से स्थानीय लोग भारी संकट झेल रहे हैं।
अन्य नदियां और बांध भी उफान पर
सिर्फ एरू नदी ही नहीं, बल्कि बिजौलिया कस्बे की पलकी नदी और मंडोल बांध भी उफान पर हैं। बांधों से पानी छोड़े जाने के कारण आसपास के गांवों में बाढ़ का खतरा और बढ़ गया है। प्रशासन ने हालात पर करीबी निगरानी रखी हुई है और राहत-बचाव दलों को अलर्ट मोड पर रखा गया है।
