निकाय-पंचायत पर सरकार की घोषणा: दिसंबर तक कराए जाएंगे चुनाव, जनता की उम्मीदों पर फिरा पानी

Update: 2025-08-20 17:56 GMT

जयपुर। राजस्थान में लंबे समय से निकाय और पंचायत चुनाव की तारीखों का इंतजार कर रहे लोगों को बड़ा झटका लगा है। पंचायती राज और स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कर दिया कि राज्य सरकार अब दिसंबर 2025 में ही चुनाव कराने की तैयारी कर रही है। यह ऐलान ऐसे समय पर किया गया है, जब लोगों को उम्मीद थी कि हाईकोर्ट की सख्ती के बाद चुनाव आयोग जल्द ही तारीखों की घोषणा करेगा।


 जनता की उम्मीद टूटी

हाल ही में हाईकोर्ट ने पंचायत चुनावों में देरी को लेकर सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 243ई और राजस्थान पंचायती राज अधिनियम की धारा-17 के अनुसार पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने से पहले चुनाव कराना अनिवार्य है। कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद आमजन और राजनीतिक हलकों में यह चर्चा गर्म थी कि चुनाव आयोग अब किसी भी वक्त तारीखों की घोषणा करेगा। कई ग्रामीण इलाकों में तो पंचायत चुनावों की तैयारी भी शुरू हो गई थी। लोगों को उम्मीद थी कि जल्द ही लोकतंत्र का यह उत्सव देखने को मिलेगा। लेकिन सरकार की घोषणा ने इन उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

 ‘वन स्टेट वन इलेक्शन’ की तैयारी

मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने बताया कि सरकार पंचायत और निकाय चुनाव को एक साथ कराने की दिशा में काम कर रही है। यानी ‘वन स्टेट वन इलेक्शन’ मॉडल को अपनाया जाएगा। इसके लिए हाईकोर्ट के निर्देशों का अध्ययन किया जा रहा है और विधिक राय ली जा रही है। सरकार का कहना है कि एक साथ चुनाव होने से प्रशासनिक बोझ और खर्च दोनों में कमी आएगी।

राजनीतिक हलकों में निराशा और सवाल

सरकार के इस ऐलान से न सिर्फ ग्रामीण जनता, बल्कि कई प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं में भी निराशा का माहौल है। जिन लोगों ने चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी थी, उनके अरमान अधूरे रह गए। कई जगह बैठकों और रणनीति की रूपरेखा भी बनने लगी थी, लेकिन अब उन्हें डेढ़ साल और इंतजार करना होगा। विपक्ष का आरोप है कि सरकार जानबूझकर चुनावों में देरी कर रही है ताकि पंचायतों और निकायों पर नियंत्रण बनाए रखा जा सके।

कोर्ट की सख्ती के बाद भी टालमटोल

यह सवाल उठना लाजमी है कि जब हाईकोर्ट ने पंचायत चुनावों में देरी पर सरकार को सख्त निर्देश दिए थे, तब सरकार ने इतनी लंबी अवधि का शेड्यूल क्यों घोषित किया? ग्रामीण अंचलों में लोकतंत्र की बुनियाद मानी जाने वाली पंचायतों का समय पर चुनाव न होना लोगों के भरोसे को कमजोर करता है।

उम्मीदों को झटका

दिसंबर 2025 में चुनाव कराने की घोषणा ने उन लाखों ग्रामीणों की उम्मीदों को झटका दिया है, जो जल्द ही अपने नए प्रतिनिधियों को चुनने के लिए उत्साहित थे। पंचायत चुनाव न केवल गांवों की आवाज होते हैं, बल्कि विकास की दिशा भी तय करते हैं। ऐसे में चुनावों में यह लंबी देरी लोकतंत्र के मूल सिद्धांत पर सवाल खड़े करती है।


 

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