जनता चाहे 'महंगासुर' का अंत: त्यौहारी सीजन में बढ़ी कीमतों ने बिगाड़ा घर का बजट, स्वाद फीका

Update: 2024-09-24 22:20 GMT

भीलवाड़ा। रावण रूपी पौराणिक असुर का दहन तो आगामी दशहरे पर हो जाएगा, मगर वर्तमान में घर की रसाई में कुंडली मारकर बैठे महंगासुर का अंत कब होगा। यह सवाल आज हर परिवार के लोगों के मन में है। महंगाई रूपी असुर ने लोगों के जीवन की रंगत को फीका कर दिया है। त्योहारी सीजन के करीब आते ही महंगाई की मार का असर एक बार फिर लोगों की थाली में देखने को मिलने लगा है। एक ओर जहां सब्जियों सहित लहसुन, प्याज की कीमतों ने लोगों के थाली का स्वाद फीका कर दिया है, तो वहीं रही-सही कसर दाल, तेल सहित जीरा और मिर्च की कीमतों ने पूरी कर दी है। ऐसे में लोगों की थालियों से सब्जियों के बाद दाल के साथ मसाले की छौंक भी गायब होने लगी है। इसके चलते पहले से ही आर्थिक विवशता का सामना कर रहे आम लोगों को महंगाई की अब और जबर्दस्त मार झेलनी पड़ रही है।

खासकर इससे मध्यवर्गीय और कम आमदनी वाले लोगों की हालत पतली हो गयी और उनके घर के रसोई का बजट भी पूरी तरह बिगडऩे लगा है। यानी पहले जहां सात से आठ सदस्य वाले परिवारों को दूध, किचन का सामान और सब्जियों में हर माह जहां 12 हजार के आसपास खर्च होता था, वह खर्च बढकऱ अब 15 हजार या उससे अधिक पहुंच गया है। हर वस्तुओं में बढ़ी महंगाई के चलते तीन से चार सदस्य वालों के खर्च भी पहले की तुलना में बढ़ गया है। जिस तरह सामानों की कीमतों में इजाफा हुआ, उस अनुसार लोगों की आमद नहीं हो रही है, ऐसे में गरीब मध्यम वर्गीय तबके के लोगों की हालत खराब हो गयी है, क्योंकि, खाने-पीने की वस्तुओं की बढ़ी कीमतें कम होने का नाम नहीं ले रही है और आर्थिक परेशानी की मार झेल रहे लोगों के सिर पर महंगाई के साथ साथ कर्ज का भी बोझ बढ़ रहा है। शहर के बाजार नंबर दो स्थित किराना दुकानदार ने बताया कि बारिश और थोक दामों में की जा रही बढ़ोतरी से आज कल हर सामान के दाम लगभग बढ़े हुए हैं, जिसके चलते महंगाई बढ़ गयी और इसका बोझ आम लोगों पर पडऩे लगा है।

बाजार में कीमतें तय होना जरूरी

खाद्य पदार्थ के दामों में वृद्धि के कारण आम लोगों का बजट बिगड़ता जा रहा है। खासकर महंगाई के कारण मध्यम वर्ग के लोगों का हाल बेहाल है। खाद्य पदार्थ के दामों में प्रति किलो लगातार हो रही बढ़ोतरी के कारण जनजीवन आम लोगों का अत्यधिक प्रभावित हो रहा है। आटा, मैदा, दाल, चावल, दही आदि दैनिक जीवन में प्रतिदिन उपयोग होने वाले खाद्य पदार्थों पर बढ़ाये जा रहे दाम की मार से आम लोग परेशान हैं और खाद्य पदार्थ महंगी होने के कारण ज्यादा जेब ढीली हो रही है। दुकानदार बताते हैं कि दाम बढऩे के कारण खाद्य पदार्थ की बिक्री में भी कमी आयी है। महंगाई के कारण आम लोगों के साथ दुकानदार के रोजगार पर भी असर पड़ रहा है। इधर बढ़ी महंगाई से गृहणियां, आम लोग और व्यापारी नाराज हैं। उनका कहना था कि प्रशासन की ओर से रेगुलर जांच नहीं होने के चलते थोक व्यवसायी आये दिन किसी ना किसी खाद्य पदार्थ का दाम बढ़ा दे रहे है। इससे लोगों की तो जेबें कट ही रही है, खुदरा व्यवसायियों को भी दाम के दाम सामान बेचना पड़ रहा है, ताकि अधिक दाम वसूलने की शिकायत पर ग्राहक भडक़ ना जाये।

मध्यम वर्ग की बढ़ रही मुश्किलें

खाद्य सामग्रियों के मूल्य में वृद्धि से कम आय, नौकरीपेशा और मध्यम वर्ग की मुश्किलें बढऩे लगी हैं। आवश्यक घरेलू वस्तुओं में तेजी से लोगों के घर का बजट बिगड़ गया है। महंगाई की मार सिर्फ आटा, चावल, दाल पर नहीं है बल्कि धनिया, जीरा और हल्दी पर भी है। शहर के किराना व्यापारी ने बताया कि रोजमर्रा में सबसे अधिक उपयोग होने वाली खाद्य सामग्री आटा, चावल एवं दाल के भाव में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। इससे मध्यम वर्गीय परिवारों को घर चलाना मुश्किल हो गया है। लोगों ने सामानों में कटौती तक करना शुरू कर दी है।

गृहणियों की पीड़ा

रीना देवी का कहना है कि बच्चों की पढ़ाई से लेकर रसोई खर्च तक महंगा होते जा रहा है, दाल, आटा और चावल के अलावा रसोई के अन्य सामान के दामों में कई बार बढ़ोतरी हो चुकी है। यानी हर चीज के दाम बढ़ गये हैं। घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है। अगर बाजार में मनमानी है तो प्रशासन को इस समस्या पर ध्यान देना चाहिए।

अंजली देवी ने कहा कि बाजार में सभी वस्तुओं के दाम बढ़ गये हैं। किचन bh का सामान, डिटर्जेंट पाउडर, हेयर आयल और क्रीम भी महंगे हो गये हैं। सब्जियां भी काफी महंगी हो गयी है और आटा, दाल, मसाला की कीमत में इजाफा हुआ है, जिसके चलते घर चलाना मुश्किल हो गया है। महंगाई पर शीघ्र लगाम लगानी होगी।

पहले और अभी के भावों की तुलनात्मक स्थिति

खाद्य सामग्री 

भाव (पहले) 

भाव (अब)

तैल सोयाबीन

 105/- प्रति लीटर

 120 प्रति लीटर

तैल सरसों

 125/- प्रति लीटर 

155 प्रति लीटर

चना दाल 

70/- किलो 

100/- किलो

बेसन

 80/- किलो 

110/- किलो

अरहर दाल

160/- किलो 

160/- किलो

गोला

 140/- किलो 

200/- किलो

डालडा घी

125/- किलो 

145/- किलो








 

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