यूआईटी की लापरवाही से उजाड़ हुआ पार्क:: चारदीवारी क्षतिग्रस्त, फाटक चोरी, फुटपाथ पर झाडिय़ां और गड्ढें के जानलेवा होने का भी डर

Update: 2024-06-17 10:55 GMT

भीलवाड़ा। शहर में सौंदर्यीकरण का दम भर वाह-वाही लूटने वाले अधिकारी और नेता जमीनी हकीकत से कोसो दूर है। शायद उन्हें यह जानकारी नहीं है कि शहर में कई ऐसे पार्क है जो देखरेख और संबंधित जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण उजाड़ हो रहे है। लापरवाही का आलम यह है कि लोगों की सुविधा के उद्देश्य से पटेल नगर में सेक्टर 3 में बनाया गया पार्क दुदुर्शा का शिकार है। जो कहने को तो पार्क है, मगर इसकी दुदर्शा के चलते आस-पास रहने वाले लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पार्क पूरी तरह से उजड़ चुका है, चारदीवारी क्षतिग्रसत है, लोहे फाटक चोरी हो चुके हैं और पार्क में हुआ बड़ा गड्ढा तो आगामी बारिश में किसी के लिए भी जानलेवा साबित हो सकता है। जिसे लोगों को खासकर अपने बच्चों की चिंता है।

शहर में पटेल नगर स्थित सेक्टर तीन में पार्क में पेड़ पौधों के नाम पर केवल झाडिय़ां है, चारदीवारी भी क्षतिग्रस्त हो गई है। पार्क से लोहे के दरवाजे समाजकंटक चुरा ले जा चुके हैं। स्थानीय लोगों ने कई बार यूआईटी व पार्षद से इस बारे में कई बार शिकायत की लेकिन उन्हें इस समस्या का फिलहाल कोई समाधान होता दिखाई नहीं दे रहा है।

जिम्मेदार अधिकारियों पर हो कार्रवाई

सत्यनारायण गुग्गड़ ने बताया कि पार्क के ही विभिन्न देवी-देवताओं के मंदिर है, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। नगर विकास न्यास जहां लाखों-करोड़ों रुपए का राजस्व कमा रही है, वहीं यूआईटी की लापरवाही के चलते पार्क उजाड़ हो चुका है। पार्क को विकसित करते हुए पूर्व में यहां फुटपाथ बनाया, लेकिन आज स्थिति यह है कि फुटपाथ झांडिय़ों के बीच गायब हो चुका है। पूरे पार्क में गड्ढे हो रखे है, जबकि एक गड्ढा तो इतना बड़ा है, जो किसी की जान जाने का कारण भी बन सकता है। गड्ढे के बड़ा होने के कारण आगामी दिनों में होने वाली बारिश से वह पानी से भर जाएगा। ऐसे में पानी से भरा बड़ा गड्ढा किसी इंसान या जानवर के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। यदि समय रहते इस पर कार्य नहीं किया और भूलवश अगर कोई बच्चा गड्ढे में गिर जाता है, तो फिर जिम्मेदार कौन होगा? लोगों का यह तक कहना है कि नगर विकास न्यास के उद्यान विभाग में कार्यरत अधिकारी लापरवाह है, इनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए तथा इन्हें निलंबित किया जाए।

असामाजिक तत्वों का डेरा

सौंदर्यीकरण के साथ क्षेत्र के लोग फुर्सत के कुछ पल सुकून से बिता सके, इस मंशा से यूआईटी की ओर से कुछ साल पहले इस पार्क का निर्माण करवाया गया, लेकिन देखरेख व सार-संभाल नहीं होने के चलते यह धीरे-धीरे उजाड़ हो गया। घनी आबादी से थोड़ा एक तरफ होने के कारण शाम होते ही यहां असामाजिक तत्वों का भी डेरा रहता हैं जो कि रात में शराब, स्मैक सहित कई मादक पदार्थों का यहां बैठकर सेवन करते हैं। इन्हें टोकने वाला तक कोई नहीं होता।

गेट तक हो चुके चोरी

लोगों को कहना है कि पार्क की सार संभााल नहीं होने के कारण और सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था नहीं होने के कारण असामाजिक तत्वों ने यहां के मुख्य गेट तक को उखाड़ लिया है। पार्क के हालात दिनोंदिन बदतर होते जा रहे हैं। शाम के समय तो पार्क में असामाजिक तत्व डेरा डाले बैठे रहते हैं। इसके चलते आम पारिवारिक व्यक्ति तो इस तरफ जाने की सोचता भी नहीं है।

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