जीएसटी में बड़ी राहत की तैयारी: दरें घटाकर दो स्लैब, रोज़मर्रा की 90% चीज़ें होंगी सस्ती

Update: 2025-08-15 18:03 GMT

 

 नई दिल्ली।  आयकर में राहत के बाद केंद्र सरकार अब वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के ढांचे में बड़ा बदलाव करने जा रही है। इसका उद्देश्य मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात को बढ़ावा देना, उपभोक्ताओं को राहत देना और प्रक्रिया को आसान बनाना है। सरकार का प्रस्ताव है कि मौजूदा चार मुख्य दरों (5%, 12%, 18% और 28%) को घटाकर सिर्फ दो दरें — **5% और 18%** — कर दी जाएं। सोने पर वर्तमान की तरह 3% जीएसटी लागू रहेगा।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, 12% वाले अधिकांश सामान को 5% में और 28% वाले करीब 90% सामान को 18% के स्लैब में लाने की योजना है। इससे रोजमर्रा के करीब 90% उत्पाद सस्ते हो जाएंगे। खासकर गरीब और मध्यमवर्ग को सीधा फायदा मिलेगा।

 मध्यम वर्ग और किसानों को राहत 



28% के स्लैब में आने वाले टीवी, फ्रिज, एसी जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स और कारों की कीमत में 10% तक की कमी आ सकती है। इससे बिक्री बढ़ने और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है। खेती में इस्तेमाल होने वाली मशीनरी और उपकरण पर 5% जीएसटी लागू होगा, जिससे किसानों के खर्च में कमी आएगी।

शिक्षा से जुड़े उत्पाद, स्वास्थ्य उपकरण, लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस, दवाओं तथा विभिन्न मेडिकल जांच उपकरणों पर भी जीएसटी घटाया जाएगा।

 तंबाकू और हानिकारक वस्तुओं पर कोई राहत नहीं 

सरकार ने स्पष्ट किया है कि पान मसाला, गुटखा, तंबाकू जैसे नुकसानदेह उत्पादों पर टैक्स में कोई कमी नहीं होगी। ऐसे सात उत्पादों पर 40% जीएसटी जारी रहेगा। इसके अलावा, ऑनलाइन गेमिंग को भी "हानिकारक" श्रेणी में रखकर ऊंची दर से टैक्स लगाने पर विचार हो रहा है।

 निर्यात और रोजगार को बढ़ावा 

अधिकांश कच्चा माल सस्ता होने से भारतीय उत्पादों की मैन्युफैक्चरिंग लागत घटेगी और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ेगी। निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए एक विशेष 0.5%-1% दर भी प्रस्तावित है, जिसमें ज्वेलरी जैसे श्रम-प्रधान उत्पाद शामिल हो सकते हैं।

 जीएसटी प्रक्रिया होगी आसान 

दरें घटाने के साथ ही जीएसटी की प्रक्रिया और प्रारूप में भी बदलाव किए जाएंगे।

 इनपुट टैक्स क्रेडिट की समस्या खत्म — कई सेक्टरों में कच्चे और तैयार माल पर अलग-अलग दरों से कारोबारियों को इनपुट क्रेडिट लेने में दिक्कत होती थी। इसे खत्म किया जाएगा।

 एक समान दरें  — एक ही प्रकृति की वस्तुओं पर अलग-अलग टैक्स की विसंगति समाप्त होगी, जैसे विभिन्न नमकीन, लूज व पैक्ड फूड, आइसक्रीम व मिठाई पर अलग-अलग दरें।

 पंजीकरण और नोटिस प्रक्रिया सरल  — जीएसटी पंजीकरण आसान होगा, अनावश्यक नोटिस खत्म होंगे और निर्यातकों को रिफंड तुरंत मिलेगा।

 राजस्व पर शुरुआती असर, लेकिन दीर्घकालिक लाभ की उम्मीद 

केंद्र का मानना है कि बदलाव के तुरंत बाद जीएसटी संग्रह में कमी आ सकती है। अभी कुल जीएसटी संग्रह में:

* 18% स्लैब से 65% राजस्व

* 28% स्लैब से 11%

* 12% स्लैब से 5%

* 5% स्लैब से 7% राजस्व आता है।

कम दरों से शुरुआत में राज्य और केंद्र दोनों के राजस्व पर असर पड़ेगा। हालांकि, सरकार को उम्मीद है कि वस्तुएं सस्ती होने से उनकी खपत बढ़ेगी और भविष्य में संग्रह में वृद्धि होगी।

 क्षतिपूर्ति सेस समाप्त होने की तैयारी 

जीएसटी लागू करते समय (1 जुलाई 2017) राज्यों के घाटे की भरपाई के लिए क्षतिपूर्ति सेस लगाया गया था। इसे पांच साल बाद समाप्त होना था, लेकिन कोविड-19 के कारण इसकी मियाद मार्च 2026 तक बढ़ा दी गई थी। अब प्रस्ताव है कि इसे तय समय पर समाप्त कर दिया जाए।

 राज्यों की सहमति होगी अहम 

जीएसटी संबंधी किसी भी प्रस्ताव पर अंतिम फैसला जीएसटी काउंसिल लेती है, जिसके अध्यक्ष वित्त मंत्री होते हैं और सभी राज्यों की सहमति जरूरी होती है। प्रस्ताव को पहले मंत्रियों के समूह (जीओएम) में रखा जाएगा, फिर सितंबर में काउंसिल की बैठक में अंतिम निर्णय होगा।

भाजपा शासित राज्यों से पहले ही चर्चा हो चुकी है, लेकिन विपक्षी शासित राज्यों की सहमति को लेकर संशय है, क्योंकि बदलाव से उनके राजस्व पर असर पड़ेगा। अतीत में कुछ राज्य इंश्योरेंस पर 18% से 12% करने के प्रस्ताव का विरोध कर चुके हैं।

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### **नया ढांचा—संक्षेप में**

* **दो मुख्य दरें:** 5% और 18%

* **विशेष दर:** सोना 3%, कुछ निर्यात उत्पाद 0.5%-1%

* **हानिकारक उत्पाद:** 40% टैक्स बरकरार

* **प्रक्रिया सुधार:** आसान पंजीकरण, रिफंड में तेजी, इनपुट क्रेडिट की दिक्कत खत्म

* **उद्देश्य:** वस्तुओं को सस्ता करना, खपत और मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाना, निर्यात को बढ़ावा देना

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