अब कौनसे पर्व कब जाने: शीतला सप्तमी 21 को मनाएंगे, सज गई व्यंजनों, पिचकारियों व रंग-गुलाल की स्टालें
भीलवाड़ा हलचल भीलवाड़ा में धुलंडी के सात दिन बाद शीतला सप्तमी व अष्टमी को रंगोत्सव मनाने की तेयारिया शरू हो गई हे फ़ुटपाथो पर तेलिए खाद्य सामग्री की दुकाने सज चुकी हे .मेवाड़ का प्रवेश द्वार कहे जाने वाले भीलवाड़ा में शीतला सप्तमी के दिन महिलाएं अल सुबह उठकर शीतला माता की पूजा अर्चना करती है और बाद में पूरे दिन लोग रंगोत्सव को धूमधाम से मनाते हैं. एक दूसर के घर जाकर ओल्या और पापडी का लुप्त उठाते हे .इस दिन कलेक्टर की तरफ से छुट्टी भी रहेगी .
आजाद चौक गोल प्याऊ चौराहा, बाजार नंबर तीन सहित गली-मोहल्लों में रंग, गुलाल व पिचकारियों सहित तलने वाले व्यंजनों की दुकानें सज गई हैं जिन पर अच्छी खासी संख्या में ग्राहकी होती नजर आ रही है। । बच्चे पिचकारियों के लिए मचलते दिखे रहे हे.भीलवाड़ा का रंगोत्सव शीतला सप्तमी मनाने के लिए बाजार में रंग-गुलाल व व्यंजनों की कच्ची सामग्री की दुकानें सज गई हैं।
परिवार के लोगों का स्वास्थ्य सही रहने की कामना से मनाए जाने वाले शीतला सप्तमी पर भीलवाड़ा जिले में परंपरा के अनुसार रंग खेला जाता है। लोग एक-दूसरे के घर जाकर पर्व की शुभकामनाएं देते हैं।
सुबह महिलाएं शीतला माता की पूजा करने के बाद घरों में एक दिन पहले बनाए गए ठंडे व्यंजनों (बास्योड़ा) का भोग लगाएंगी। इसके बाद दिन में रंग खेला जाएगा।
कहते हैं कि मेवाड़ में प्राचीन काल से ही धुलंडी के सात दिन बाद शीतला सप्तमी को रंगोत्सव मनाया जाता है. शीतला सप्तमी हिंदू धर्म के अनुयायियों द्वारा मनाए जाने वाला लोकप्रिय त्योहार है. शीतला सप्तमी के दिन महिलाएं देर रात से सुबह तक शीतला माता की पूजा अर्चना करती हैं और ठंडे व्यंजनों का भोग लगाती हैं. वहीं पुरुष होली खेलते हैं.
पंडित आशुतोष शर्मा ने बताया कि शीतला सप्तमी के दिन होली खेलने की यह पंरपरा सदियों से निभाई जा रही है. इस दिन विशेष रूप से मंदिरों में भव्य आयोजन होते हैं. भक्त अपने अराध्य के साथ होली खेलते हैं. इसके अलावा इस दिन शीतला माता की भी विशेष पूजा की जाती है.उन्होंने बताया कि यूं तो धुलंडी वाले दिन भी लोग एक—दूसरे को रंग लगाते हैं. लेकिन, वह केवल सांकेतिक ही होता है. वहीं शीतला सप्तमी व अष्टमी को लोग पूरे उत्साह से होली खेलते हैं. मेवाड़ में वैसे 13 दिनों तक होली खेली जाती है. यहां धुलंडी के बाद रंग तेरस भी मनाई जाती है, जिसके तहत मंदिरों में विशेष आयोजन होते हैं.
भीलवाड़ा में शीतला सप्तमी पर मुर्दे की सवारी निकलती है. इस दिन यहां लोग जमकर रंग खेलते हैं.
भीलवाड़ा के मुख्य बाजार में जीवित व्यक्ति को अर्थी पर लिटाकर मुर्दे की सवारी निकाली जाती है, जिसमें हजारों युवा, बड़े व बुजुर्ग शिरकत करते हैं.शीतला सप्तमी के दिन पिछले 200 सालों से भीलवाड़ा में लोग शवयात्रा निकालकर होली का त्योहार मनाते आ रहे हैं, जिसमें बड़ी संख्या में शामिल होकर रंग और गुलाल से होली खेलते हैं.ऐसा कहा जाता है कि 200 साल पहले मेवाड़ के तत्कालीन राजा के किसी परिजन की होली त्योहार पर मौत होने के बाद होली नहीं मनाई गई. उसके बाद से मेवाड़ में होली का त्योहार चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि यानी रंग सप्तमी के दिन होली खेली जाती है.
छुट्टी कलेक्टर ने भी शीतला सप्तमी का 21मार्च का अवकाश घोषित कर रखा है।
अब कौनसे पर्व कब जाने
21 मार्च : शीतला सप्तमी
24 मार्च : दशामाता व्रत
29 मार्च : शनि अमावस्या
30 मार्च : चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, नवरात्र, चेटीचंड
05 अप्रेल : चैत्र शु़क्ल अष्टमी
06 अप्रेल : रामनवमी
10 अप्रेल : महावीर जयंती
12 अप्रेल : हनुमान जयंती
13 अप्रेल : वैसाखी
29 अप्रेल : परशुराम जयंती
30 अप्रेल : अक्षय तृतीय