जयपुर। राजस्थान में पंचायती राज संस्थाओं और नगरीय निकायों के चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग और सरकार के बीच तनातनी बढ़ गई है। हाईकोर्ट द्वारा पंचायत चुनाव जल्द कराने के आदेश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रक्रिया शुरू कर दी है, जबकि सरकार "एक राज्य, एक चुनाव" की नीति पर अडिग दिखाई दे रही है।
राज्य निर्वाचन आयोग ने बुधवार को जिला निर्वाचन अधिकारियों (कलक्टरों) को दिशा-निर्देश भेजने की तैयारी कर ली। सूत्रों के अनुसार दिशा-निर्देश का ड्राफ्ट लगभग तैयार है और गुरुवार को इसे जारी किया जा सकता है। राज्य निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता ने पहले ही स्पष्ट किया था कि संविधान संशोधन के बिना "एक राज्य, एक चुनाव" संभव नहीं है। उन्होंने जल्द ही पंचायत और निकाय चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने का इरादा जताया है।
दूसरी ओर, स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि सरकार की नीति स्पष्ट है—दिसंबर में "एक राज्य, एक चुनाव" के तहत नगरीय निकायों के चुनाव कराए जाएंगे। उन्होंने बताया कि परिसीमन की अधिसूचना भी जल्द जारी होगी और मुख्यमंत्री से इस विषय में चर्चा चल रही है। खर्रा की अध्यक्षता में मंत्रिमंडलीय उप समिति सूची को अंतिम रूप भी दे चुकी है।
ओबीसी आरक्षण आयोग भी सक्रिय
इसी बीच, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के पालन में ओबीसी आरक्षण आयोग ने भी काम की गति तेज कर दी है। आयोग सितंबर के अंतिम सप्ताह (25 से 29 सितंबर) के बीच विभिन्न राजनीतिक दलों से संवाद करेगा। हालांकि, आयोग का कार्यकाल करीब दो हफ्ते पहले पूरा हो चुका है, लेकिन प्रक्रिया जारी है।
टकराव गहराने के आसार
एक ओर राज्य निर्वाचन आयोग जल्द चुनाव की घोषणा करने के मूड में है, वहीं सरकार दिसंबर में एकसाथ चुनाव कराने पर जोर दे रही है। ऐसे में आने वाले दिनों में पंचायत और निकाय चुनावों को लेकर राजनीतिक और प्रशासनिक टकराव और गहराने की संभावना है।
