भीलवाड़ा में दूसरे दिन भी किया जा रहा हे लक्ष्मी पूजन ,: शाम को रहेगी रोनक , गोवर्धन पूजा कल और भाई दूज से होगी उत्सव की समाप्ति

Update: 2025-10-21 06:36 GMT


भीलवाड़ा  हलचल , वस्त्र नगरी में मंगलवार को भी  दीपावली पर्व  उत्साह के साथ  मनाया जा रहा है शाम को बाजार में आज दीपावली की रोक नजर आएगी ।इस बार दो दिन दिवाली पूजन होने के चलते लोगों में सोमवार को दिन भर असमंजस की स्थिति बनी रही।कई लोगों ने शाम को दीपावली पर मां लक्ष्मी का पूजन किया तो कई लोग आज मंगलवार को पूजा करेंगे . बीती रात रोशनी देखने के लिए बाजार में लोगों में खासा उत्साह नजर आया, बड़ी संख्या में शहरवासी बाजार में पहुंचे और लाइटिंग का आनंद लिया। इस दौरान कई लोग सेल्फी और फोटो खिंचवाते हुए नजर आए।जबकि गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर को  मनाया जायेगा जिसकी मंदिरो में तेयारिया की जा रही हे, दिवाली पर्व का अंतिम दिन भाई दूज होगा, जो भाई-बहन के पवित्र रिश्तों और पारिवारिक स्नेह का प्रतीक है।

 दीपावली पर उत्साह का माहौल नजर आया

सोमवार को भीलवाड़ा में दीपोत्सव पर्व पूरे उत्साह के साथ मनाया गया, सुबह से ही बाजारों में अच्छी रौनक नजर आई।फल-फूल और पूजन सामग्री खरीदने के लिए बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ी। दीपावली के मौके पर मिठाइयों की दुकानों पर भी जमकर बिक्री हुई।

कई जगह सोमवार को पूजन हुआ

इस बार दीपावली पूजन को लेकर लोगों में दिन भर असमंजस की भीलवाड़ा में दीपावली पर्व को लेकर उत्साह का माहौल है। इस बार दो दिन दिवाली पूजन होने के चलते लोगों में सोमवार को दिन भर असमंजस की स्थिति बनी रही।कई लोगों ने सोमवार शाम को दीपावली पर मां लक्ष्मी का पूजन किया तो वहीं कई लोग आज मंगलवार को पूजा करेंगे।

शहरवासी बाजार में रोशनी देखने पहुंचे

हालांकि बीती रात रोशनी देखने के लिए बाजार में लोगों में खासा उत्साह नजर आया, बड़ी संख्या में शहरवासी बाजार में पहुंचे और लाइटिंग का आनंद लिया। इस दौरान कई लोग सेल्फी और फोटो खिंचवाते हुए नजर आए ।

गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर को


 



 भीलवाड़ा में दीपावली के अगले दिन 21 अक्टूबर को अमावस्या तिथि दोपहर बाद तक ही रहने से गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर को होगी। इस अवसर पर वैष्णव मंदिरों में तैयारियां जोरों पर हैं। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के अहंकार को दूर करने हेतु गोवर्धन पर्वत को धारण किया था। संकट मोचन बाला जी मंदिर क्ष पेच के बालाजी , हठीले हनुमान मंदिर , शनिमंदिर सहित शहर के अन्य मंदिरो में अन्नकूट की तेयारिया शुरू हो गई हे सब्जिया साफ की जा रही हे .


भाई दूज का महत्व



 


कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भातृ द्वितीया या यम द्वितीया कहा जाता है जिसे भाई दूज के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर भोजन करने गए थे और उन्होंने वरदान दिया था कि जो भाई इस दिन अपनी बहन के घर भोजन करेगा उसे सुख-समृद्धि और दीर्घायु प्राप्त होगी। इस दिन बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनके दीर्घ जीवन की प्रार्थना करती हैं और भाई अपनी बहनों को उपहार स्वरूप भेंट देते हैं। 

सनत्कुमार संहिता में उल्लेख है कि भाई को भोजन कराने के बाद बहन को अपने भाई की सुख-समृद्धि और दीर्घायु के लिए मार्कंडेय, बलिराज, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, अश्वत्थामा और परशुराम जैसे चिरंजीवियों के समान दीर्घायु होने की प्रार्थना करनी चाहिए। भाई दूज दीपावली पर्व का अंतिम दिन होता है, जो भाई-बहन के पवित्र संबंध और पारिवारिक स्नेह का प्रतीक है।

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