फुटपाथ कहां है साहब?": भीलवाड़ा की सड़कों पर पुलिस की अपील पर सवाल उठाती हकीकत

Update: 2025-08-03 07:30 GMT

सड़क पर शो रूम, साहब इधर भी डालिए नजर ...

 ✍️  राजकुमार माली, भीलवाड़ा हलचल 

 भीलवाड़ा 

राजस्थान पुलिस ने हाल ही में सड़कों पर ट्रैफिक नियमों की पालना की अपील की है, जिसमें खासतौर पर  “फुटपाथ पर वाहन ना चलाएं”  का संदेश शामिल है। पुलिस की यह अपील जनहित में ज़रूरी है, पर जब इस नसीहत को *भीलवाड़ा जैसे शहर* की ज़मीन पर परखते हैं, तो यह अपील *हास्य और विडंबना का आईना* बन जाती है।


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 एक नजर सालो पुरानी रिपोर्ट पर डाले  ... हालात अब भी यही हे 

पुलिस कह रही है कि फुटपाथ पैदल यात्रियों के लिए होते हैं — पर  भीलवाड़ा में फुटपाथ हैं कहां? 

शहर के हालात ये हैं कि कहीं रेहड़ी, तो कहीं पक्के ठिए… और कहीं-कहीं तो  फुटपाथ किराए पर दिए जाने की सुगबुगाहटें  भी हवा में तैरती मिलती हैं।




 



 


आजाद चौक हो, बड़ा बाजार हो या नगर परिषद के आसपास का क्षेत्र —  फुटपाथ पर दुकानें, ठेले और स्थायी अतिक्रमण पसरे हुए हैं। 

 पैदल चलना तो दूर, सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। 

 नगर निगम बने अरसा हो गया, लेकिन मानसिकता अब भी परिषद वाली ही है। 

जयपुर, उदयपुर की बात छोड़िए — भीलवाड़ा में तो मानो "फुटपाथ" शब्द किसी *पुरानी किताब का हिस्सा* हो गया है।

  ❝फुटपाथ  दुकानदारों  के लिए नहीं होते, पैदल चलने वालों के लिए होते हैं❞

पुलिस के इस बयान में दम है, पर नगर निगम की तरफ देखें तो लगता है जैसे ये 'फुटपाथ' अब *छोटा व्यापार ज़ोन* बन चुके हैं।

जहाँ वाहन नहीं, वहाँ दुकान चल रही है।

जहाँ दुकान नहीं, वहाँ कचरा डंप हो रहा है।

और जहाँ दोनों नहीं, वहाँ निगम की  नज़रें जरूर मूंद रखी हैं। 

 भीलवाड़ा के लोग क्या कह रहे हैं? 

"हमें तो याद ही नहीं कब हमने आखिरी बार फुटपाथ पर चलकर बाज़ार पार किया था," — कहते हैं स्थानीय बुजुर्ग रघुनाथ जी।

"बच्चों को स्कूल छोड़ने जाते हैं तो सड़क पर ही पैदल चलना पड़ता है। फुटपाथ तो दुकानवालों के हो गए।"

 कानून क्या कहता है? 

> मोटर वाहन अधिनियम की धारा 34(1) के तहत फुटपाथ पर वाहन चलाना *दंडनीय अपराध* है।

> लेकिन भीलवाड़ा में सजा उन नागरिकों को मिल रही है जो पैदल चलना चाहते हैं।

### ✋ सवाल उठते हैं...

* जब फुटपाथ गायब हैं, तो उन पर वाहन कैसे न चलाएं?

* क्या निगम को केवल टैक्स वसूलना आता है, अतिक्रमण हटाना नहीं?

 

राजस्थान पुलिस की नीयत और नसीहत दोनों सराहनीय हैं, लेकिन नगर निगम की निष्क्रियता उन पर **तमाचा** है।

भीलवाड़ा में फुटपाथ पहले खोजिए… फिर वाहन हटाइए।

 

 निगम बना, व्यवस्था नहीं बदली 

भीलवाड़ा नगर परिषद से नगर निगम तो बन गया, लेकिन बदलाव केवल नाम तक सीमित रहा।

न फुटपाथ सुधरे, न बाजारों की व्यवस्था।  नियमों की किताबें मोटी होती गईं, लेकिन इरादे कमजोर रहे ।

जहाँ जयपुर, उदयपुर जैसे शहरों में फुटपाथों का जीर्णोद्धार हुआ, वहीं भीलवाड़ा में ये आज भी *धंधे की जमीन* बने हुए हैं।

  

 

लेकिन बड़ा सवाल यह है —

**क्या अतिक्रमण करने वालों पर भी वैसी ही कार्यवाही होती है, जैसी वाहन चालकों पर होती है?**

क्या नगर निगम सिर्फ निरीक्षक बना हुआ है या मूकदर्शक?

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👉 **भीलवाड़ा की जनता पूछ रही है:**

"हमारा फुटपाथ कहां है?"

"क्या व्यवस्था सिर्फ चालान काटने के लिए है?"

"शहर में पैदल चलने की इजाजत कब मिलेगी?"

📍 *शहर के फुटपाथ अब जिम्मेदारों के लिए एक आइना हैं — जिसमें वो अपनी लापरवाही और व्यवस्था की असफलता देख सकते हैं, अगर देखने की हिम्मत हो तो...*

 

पुलिस ने ये की ये अपील फुटपाथ पर नहीं चलाएं वाहन...पर

 फुटपाथ पर वाहन चलाने से बचें, क्योंकि यह पैदल यात्रियों के लिए असुरक्षित है। यातायात नियमों का पालन करें, जैसे हेलमेट पहनना, सीटबेल्ट लगाना, और वैध दस्तावेज साथ रखना। सडक़ सुरक्षा को प्राथमिकता दें, जिससे सभी के लिए सुरक्षित और सुगम यातायात सुनिश्चित हो।लेकिन भीलवाड़ा में इसका उल्टा हो रहा हे हम क्या शहर का बच्चा बच्चा ये कहे रहा हे हमारा फुटपाथ कहा  हे बाकी तो राम जाने ... ये  

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