
भीलवाड़ा बीएचएन। कृषि विज्ञान केन्द्र पर व्यावसायिक बकरीपालन विषय पर छः दिवसीय संस्थागत कृषक प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. सी. एम. यादव ने बताया कि बकरी पालन भूमिहीन, लघु एवं सीमान्त किसानों के जीवन निर्वाह का प्रमुख स्त्रोत है। डॉ. यादव ने बकरियों की प्रमुख नस्लें सिरोही, सोजत, गूजरी, करौली, मारवाड़ी, झकराना, परबतसरी एवं झालावाड़ी में आवास एवं आहार प्रबन्धन, प्रमुख रोग एवं निदान, कृमिनाशक, बाह्य परजीवी नियन्त्रण की जानकारी से लाभान्वित किया और बकरी पालन को किसान के लिए एटीम एवं चलता फिरता फ्रीज बताया। डॉ. यादव ने बकरी पालन हेतु स्थान का चयन, शेड का निर्माण, बकरियों की संख्या का नियन्त्रण, वर्ष भर हरा चारा उत्पादन, बकरी के दूध की उपयोगिता एवं विपणन के बारे में बताया। संयुक्त निदेशक पशुपालन डॉ. अरूण कुमार ने कृषक हितार्थ विभाग की योजनाओं के बारे में जानकारी देते हुए बकरीपालन द्वारा आय बढ़ाने पर जोर दिया। डॉ. के. सी. नागर, प्रोफेसर शस्य विज्ञान, बारानी कृषि अनुसंधान केन्द्र भीलवाड़ा ने बकरीपालन को कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाला व्यवसाय बताया जिसको किसान छोटे स्तर से बड़े स्तर तक आसानी से किया जा सकता है साथ ही बकरियों में टीकाकरण के बारे में बताया। डॉ. एच. एल. बुगालिया, सहायक आचार्य पशुपालन, कृषि विज्ञान केन्द्र शाहपुरा ने बकरियों में होने वाले संक्रामक रोग उनके फैलने के कारण और निदान की जानकारी दी साथ ही कृषक उत्पादक संगठन से जुडकर बकरीपालन अपनाने के बारे में जानकारी दी। डॉ. बुगालिया ने राष्ट्रीय पशुधन मिशन की तकनीकी जानकारी से अवगत कराया। डीडीएम नाबार्ड मनीष कुमार शर्मा ने नाबार्ड की गतिविधियों, योजनाओं एवं ऋण लेने की प्रक्रिया के बारे में बताया। वरिष्ठ अनुसंधान अध्येता संजय बिश्नोई ने बकरियों के दूध के विपणन एवं मूल्य संवर्धन की जानकारी दी प्रशिक्षण में 35 कृषकों ने भाग लिया जिन्हें महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा प्रकाशित कृषि कलेण्ड़र एवं प्रशिक्षण प्रमाण पत्र दिये गए।