शाहपुरा में धूमधाम से मना दशहरा, 50 फीट ऊंचे रावण का हुआ दहन

Update: 2025-10-02 14:28 GMT

 शाहपुरा-पेसवानी.असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक दशहरा पर्व गुरुवार को शाहपुरा कस्बे में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। शाम ढलते ही नगरवासियों का हुजूम कंलीजरी गेट धरती देवरा के पास स्थित दशहरा मैदान में उमड़ पड़ा, जहां परंपरानुसार रावण दहन का आयोजन हुआ।

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण 50 फीट ऊंचा रावण का पुतला रहा। इसे विशेष कारीगरों ने लगभग एक लाख रुपये की लागत से तैयार किया था। इस बार रावण की टिमटिमाती आंखें और मुंह से निकलती आग दर्शकों के लिए रोमांच का कारण बनीं। शाम को लगभग 7 बजे भगवान श्रीराम की भूमिका में सजे कलाकार ने करीब 100 फीट की दूरी से रामबाण चलाकर रावण की नाभि में तीर साधा। देखते ही देखते विशालकाय रावण का पुतला धू-धू कर जल उठा। महज पांच मिनट में ही रावण राख में बदल गया, जो पूरे नगर में चर्चा का विषय बना। रावण दहन से पहले आसमान रंग-बिरंगी आतिशबाजी से जगमगा उठा। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी दर्शकों ने इस नजारे का भरपूर आनंद लिया।

दशहरे के अवसर पर नगर पालिका द्वारा राम, लक्ष्मण और हनुमान की भव्य सवारी भी निकाली गई। यह शोभायात्रा नृसिंह द्वारा कुण्ड के पास स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर से शुरू होकर नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए दशहरा मैदान पहुंची। यात्रा के मार्ग में जगह-जगह श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा की और जयघोष करते हुए प्रभु राम का स्वागत किया। दशहरा मैदान पहुंचने पर मंच पर मौजूद गणमान्य अतिथियों ने भी राम दरबार का अभिनंदन किया।

दशहरा आयोजन में विधायक डॉ. लालाराम बैरवा, नगर पालिका अध्यक्ष रघुनंदन सोनी, पूर्व पालिका अध्यक्ष कन्हैयालाल धाकड़ सहित पार्षद, पालिका कर्मचारी, प्रशासनिक अधिकारी एवं सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे। अतिथियों ने कहा कि दशहरा पर्व हमें यह संदेश देता है कि चाहे बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंततः सत्य और धर्म की ही जीत होती है। रावण दहन से पूर्व एक छोटा सा हादसा होते-होते टल गया। कारीगरों की गलती से पुतले के तार गलत जुड़ जाने के कारण रावण समय से पहले टिमटिमाने और जलने लगा। हालांकि वहां मौजूद टीम ने तुरंत सतर्कता दिखाते हुए स्थिति को संभाल लिया और किसी बड़ी अनहोनी से बचा लिया गया। इस घटना के बाद दर्शकों ने राहत की सांस ली।

दशहरा मैदान में सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद रहे। महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सभी रावण दहन देखने के लिए शाम से ही मैदान में जुट गए थे। जैसे ही रामबाण रावण के सीने में लगा, पूरा मैदान जय श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा। बच्चों में आतिशबाजी और पुतले की ऊंचाई को लेकर विशेष उत्साह देखा गया। वहीं बुजुर्गों ने कहा कि दशहरा का पर्व हमें न केवल धार्मिक आस्था से जोड़ता है बल्कि सामाजिक एकता और सद्भाव का संदेश भी देता है।

इस बार के आयोजन में परंपरा और आधुनिकता का सुंदर संगम देखने को मिला। एक ओर रामलीला के पात्रों ने धार्मिक भावनाओं को जीवंत किया, तो दूसरी ओर आधुनिक आतिशबाजी और विशेष इफेक्ट्स ने दर्शकों को रोमांचित किया। रावण के जलते ही कई लोग इस क्षण को अपने मोबाइल और कैमरों में कैद करने में व्यस्त नजर आए।

दशहरे के मौके पर विधायक डा लालाराम बैरवा ने कहा कि रावण दहन केवल एक परंपरा नहीं है, बल्कि यह हमें अपने भीतर की बुराइयों को जलाकर सच्चाई और अच्छाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। आज के समय में समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, हिंसा, नशा और अन्य कुरीतियों को समाप्त करने के लिए सभी को मिलकर संकल्प लेना चाहिए।

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