एमजीएच जाने वालों को मरहम की जगह सहना पड़ रहा है दर्द
→ सड़कों पर खतरनाक खड्डे
→ बरसात में भरता है कई जगह पानी
→ नालियों के टूटे है ढक्कन
भीलवाड़ा (सम्पत माली)। मर्ज के इलाज के लिए पीडि़त अस्पताल जाते है लेकिन भीलवाड़ा के सबसे बड़े महात्मा गांधी अस्पताल जाने पर लोगों को मरहम की जगह दर्द ही मिल रहा है। लेकिन जिम्मेदार लोग इस ओर मूकदर्शक बने हुए है।
चौंकिए मत, यह सही है महात्मा गांधी अस्पताल वैसे तो अब मेडिकल कॉलेज में बदल गया और इसकी बिल्डिंग भी विस्तृत हो गई है। सुविधाएं भी बढी है लेकिन अस्पताल जाने के मार्ग अब भी ग्रामीण क्षेत्र की तरह है। मुख्य प्रवेश द्वार अतिक्रमण की गिरफ्त में है। एम्बुलैंस भी तेज गति से नहीं गुजर सकती। वहीं अस्पताल के चहुंओर के मार्ग टूटे और क्षतिग्रस्त होने के साथ ही बड़े-बड़े खड्डे पड़े हुए है और कुछ जगह तो खतरनाक स्पीड बे्रकर है। ऐसे में अस्पताल आने वाले मरीजों को उपचार से पहले ही दर्द झेलना पड़ता है। बड़े वाहन चालकों को तो परेशानी होती ही है, दुपहिया वाहन चालक भी आसानी से नहीं निकल पाते है। यही नहीं अस्पताल के इन मार्गों पर बरसात के समय कई जगह पानी भर जाता है और वे छोटी तलैया का रूप ले लेता है। पानी निकासी का भी कोई उचित प्रबंध नहीं है। अस्पताल केंटीन के बाहर तो बरसात के बाद कई दिनों तक पानी भरा रहता है। वहीं कई जगह नालियों से ढक्कन ही नदारद है।