राजस्थान भूजल प्राधिकरण का गठन
भीलवाडा । राज्य मंत्रिमंडल ने 19 जुलाई 2024 को राजस्थान भूजल (संरक्षण एवं प्रबंधन) प्राधिकरण विधेयक 2024 की स्वीकृति प्रदान की है। इससे राजस्थान में राज्य स्तरीय भूजल बोर्ड गठन का मार्ग साफ हो गया है। इस विधेयक को विधानसभा के वर्तमान में चल रहे बजट सत्र में ही पारित करने के लिए रखा जायेगा। राजस्थान में अकेले मेवाड़ चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री की ओर से ही राज्य भूजल बोर्ड गठन का मुद्दा उठाया गया।
मेवाड़ चैम्बर के मानद महासचिव आर के जैन ने बताया कि चैम्बर के लगातार प्रयासों से तत्कालीन मुख्यमंत्री महोदय ने वर्ष 2022-23 के बजट में भूजल बोर्ड गठन संबंधी घोषणा की, लेकिन बोर्ड का गठन नहीं हुआ। आम चुनाव के बाद नई सरकार गठन के साथ चैम्बर सतत प्रयासरत रहा। वर्ष 2024-25 की प्री बजट बैठक में भी इस प्रकरण को माननीय मुख्यमंत्री के सामने उठाया गया था। राजस्थान भूजल (संरक्षण एवं प्रबंधन) प्राधिकरण के गठन से अब टेक्सटाइल एवं अन्य उद्योगों को एनओसी प्राप्त होने में सुविधा होगी। भीलवाडा में नये प्रोसेस हाउस एवं डेनिम उद्योग स्थापना एवं विस्तारीकरण का मार्ग सुगम होगा। वर्तमान में केन्द्रीय भूजल बोर्ड से उद्योगों को लम्बे अंतराल तक एनओसी प्राप्त नहीं हो पा रही थी।
भूजल निकासी एवं उपयोग राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों पर निर्भर करता है। राजस्थान में 12 मासी प्रवाह की नदियां नही होने से, कम वर्षा से संचित जल का भी अभाव होने से उद्योगों को भूजल का उपयोग करना पडता है। केन्द्रीय भूजल बोर्ड के प्रावधानों के अनुसार राज्य अपने स्तर पर भूजल बोर्ड बनाकर राज्य की परिस्थितियों के अनुसार नियम बना सकते है। विभिन्न राज्यों ने अपने राज्य की परिस्थिति के अनुसार राज्य स्तरीय भूजल बोर्ड बनाकर अपने नियम एवं गाइडलाइन्स बनाई है। तीन बड़े औद्योगिक राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा ने राज्य स्तरीय भूजल बोर्ड बनाकर अपने राज्य के उद्योगों को केन्द्रीय भूजल बोर्ड के दायरे से अलग कर लिया है। अन्य राज्य यथा हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गोवा में पहले ही राज्य स्तरीय भूजल बोर्ड बने हुए है। इससे वे अपने राज्य की भौगोलिक संरचना के आधार पर भू जल का संरक्षण करने के साथ-साथ औद्योगिक विकास को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं।