डॉ हरिराम मीना का अमृतोत्सव

By :  vijay
Update: 2025-03-30 15:36 GMT
डॉ हरिराम मीना का अमृतोत्सव
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जयपुर,। कुशल प्रशासक, आदिवासी और पिछड़े वर्ग की आवाज़ को अपने साहित्य के माध्यम से बुलंद करने वाले वरिष्ठ साहित्यकार डॉ हरिराम मीणा का अमृतोत्सव आज

यहाँ राजस्थान प्रौढ़ शिक्षण समिति के सभागार में मनाया गया। वरिष्ठ साहित्यकारों नं भारद्वाज और डॉ. दुर्गा प्रसाद अग्रवाल के कृतित्व व व्यक्तित्व पर आयोजित कार्यक्रमों की शृंखला में यह आयोजन डॉ. मीना पर केन्द्रित रहा। कार्यक्रम के प्रारंभ में डॉ. मीणा पर मोनोग्राफ़ 'हरिराम मीणा (व्यक्तित्व और कृतित्व)' का अतिथियों द्वारा विमोचन किया गया।

अतिथियों का स्वागत करते हुए राही सहयोग संस्थान की अध्यक्ष कविता मुखर ने संस्थान की गतिविधियों से अवगत कराया। राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से आए एवं पुलिस सेवा में उनके सहयोगी मित्रों लक्ष्मण बोलिया और रामजीलाल मीणा ने संस्मरण सुनाते हुए बताया कि डॉ. मीणा के लेखन में यह प्रयास रहा कि भावी पीढ़ी को कैसे बेहतर बनाया जाए।साहित्यकार राघवेन्द्र रावत, डॉ.राजाराम भादू, विनोद भारद्वाज, डॉ.दुर्गाप्रसाद अग्रवाल, इंद्रकुमार भंसाली, नीरज रावत, कृष्ण कल्पित, डॉ.सूरज पालीवाल, प्रो सत्यनारायण और नंद भारद्वाज ने डॉ. हरिराम मीणा के कृतित्व पर चर्चा करते हुए रेखांकित किया कि आदिवासी विमर्श साहित्य को संकुचित दायरे में बांध कर मूल्यांकन

नहीं किया जाना चाहिए। वहीं हरिराम मीणा ने अपने सृजन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आदिवासियों को समाज से पृथकता की पीड़ा और उससे उपजे प्रतिशोध को अभी भी सही अभिव्यक्ति नहीं मिली है। उन्होने कहा कि आदिवासी समाज नें प्रकृति और सांस्कृतिक विरासत को बचाने का काम किया है। आदिवासी समाज ने सदैव प्रकृति का संरक्षण किया और उससे जरूरत से ज्यादा नहीं लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ हेतु भारद्वाज ने की । संस्थान के सचिव साकार श्रीवास्तव ने बताया कि अब तक डॉ. मीणा के चार काव्य संग्रह,तीन यात्रा वृत्तांत, तीन उपन्यास के अतिरिक्त अनेक संस्मरण और विश्लेषात्मक पुस्तकें आ चुकी हैं। इनमें से उपन्यास 'धूणी तपे तीर' विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में शामिल हैं और इस पर शोध किए जा रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन राजेन्द्र मोहन शर्मा ने किया।

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